Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

ब्रेकिंग :

latest

वाह रे.. ! नेताओं की कायदा कानून की राजनीति

छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज  सत्यनारायण पटेल भाटापारा  : - अस्पताल हाउसफुल, बेड खाली नहीं अब न फूल वर्षा घंटी-थाली नहीं. कोरोना का ये नया स्ट्रैन ह...


छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज 

सत्यनारायण पटेल भाटापारा : - अस्पताल हाउसफुल, बेड खाली नहीं अब न फूल वर्षा घंटी-थाली नहीं. कोरोना का ये नया स्ट्रैन है. फिर से लॉकडाउन, सब बैन हैं. ज्यादातर राज्यों में हालात बेकाबू है. लेकिन बंगाल सहित विभिन्न राज्यों जहाँ आम चुनाव हो रहे है वहां न जाने कोरोना के खिलाफ कैसा काला जादू है. बड़ी-बड़ी रैलियाँ, हजारों की भीड़, नेताओं के चेहरे न मास्क, न दो गज की दूरी है, सारी नियम कायदे कानून की धज्जियाँ उड़ाई जा रही है , वही नेता जो आम नागरिकों के लिये सक्त नियम बनाते है ၊यहाँ चुनाव आयोग मजबूर और चुनाव जरूरी है. जी हाँ साहब चुनाव जरूरी है. कोरोना फिलहाल जैसे यहाँ पर छू मंतर है. 

गजब का सिस्टम, गजब का प्रजातंत्र है.

देखिए शिकायत मत करिएगा. सवाल न पूछिएगा. हम जो कड़े कदम हो सकते हैं सब उठा रहे हैं. कोरोना से बचने ही तो टीका लगा रहे हैं. जितना संभव है वो सब कर रहे हैं. यहाँ तक की अब बोर्ड परीक्षा भी रद्द कर रहे हैं. लेकिन चुनाव रद्द नहीं होगा, मंदिरो में भिड़ नही रहनी चाहिये पर रैलियाँ रद्द नहीं होगी, सभा कराएंगे. भीड़ बुलवाएंगे, नारे लगवाएंगे. और अंत में यह भी कहेंगे. कोरोना से बचकर रहना है. याद रखिए वोट हमें ही करना है.

वोट..! जी हाँ वोट..! मत..मतदान…! 

लोकतंत्र में सबसे बड़ा काम. इसी वोट के जरिए नेता, विधायक, मंत्री चुने जाते हैं, सरकार चुनी जाती है. लेकिन चुनने के बाद, वे कहाँ ? कब ? आम जन की सुनी जाती है. सुनी जाती तो वे अपने मन का न करती. कोरोना संकट में काम ढंग का करती. कई राज्यों में कोरोना से दुर्गति है. चीरघरों में लाशें यहाँ-वहाँ पड़ी हैं. श्मशान घाट में दिन-रात चिताएं जल रही हैं. व्यवस्था अब संभाले नहीं संभल रही है၊ लाशो का अंतिम संस्कार के लिये लम्बी लम्बी लाईने और प्रतिक्षा करनी पड़ रही है , पर वाह रे .. नेताओं की नेतागिरी ,

ये त्रासदी बहुत ही भीषण है

आँखों के सामने मरण ही मरण है. रोते-बिलखते परिजन, पसरा सन्नाटा और मातम है. ये विपदा, ये विपत्ति, ये संकट जाने कौन हरेगा ? हे ईश्वर ! या अल्लाह तू कुछ करेगा ? आस्था और मनौती के साथ यही सवाल अब हर कोई कर रहा है. क्योंकि यहाँ हर कोई लड़ रहा है…डर रहा है.. कहते हैं डर के आगे जीत है , लेकिन नेताओं के कायदा कानून अलग है , बस उनकी नेतागिरी का सिक्का आंख मुंद कर चलना चाहिये ၊अब तो बस उपर वाले से यही प्र၊र्थना है इन्हे सदबुद्धि दे और आम जनता जो इन्हे उस मुकाम तक वोट देकर बैठाया है , समय के नजाकत को देखते हुये उस गरीब जनता के हित में सोचे ၊

No comments