छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज सत्यनारायण पटेल भाटापारा । हवन का महत्व हमें सदियों से पता है हमारे धार्मिक ग्रंथों में हवन के बारे में विशद वर्णन...
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सत्यनारायण पटेल भाटापारा । हवन का महत्व हमें सदियों से पता है हमारे धार्मिक ग्रंथों में हवन के बारे में विशद वर्णन मिलता है।धर्म ग्रंथ में लिखे गए तथ्य सही है या नहीं इसको लेकर कई शंका जब -तब उठी और इस बारे में वैज्ञानिकों ने अनुसंधान भी किए। वैज्ञानिकों ने हवन को वातावरण के लिए बहुत अच्छा माना है। इसीलिये विज्ञान सम्मत है हवन , इसी के साथ हवन के बाद जो वातावरण बनता है उसका प्रभाव लंबे समय तक बना रहता है।
क्या है हवन की महत्ता
भारत में अनुसंधान हवन की महत्ता को परखने के लिए राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान,लखनऊ के वैज्ञानिकों ने एक अनुसंधान किया। हवन करने से वातावरण शुद्ध होता है और जीवाणुओं का नाश होता है या नहीं, इस पर अनुसंधान हुआ। अनुसंधान करने के लिए ग्रंथों में वर्णित हवन सामग्री ली गई। वैज्ञानिकों ने अनेक प्रकार की लकड़ियां जलाई और फिर आम की 1 किलो लकड़ी जलाने से हवा में मौजूद विषाणु कम नहीं हुए परंतु जैसे ही उसके ऊपर आधा किलो हवन सामग्री डालकर जलाई गई तो 1 घंटे के भीतर ही कमरे में मौजूद बैक्टीरिया का स्तर 94 फ़ीसदी कम हो गया।
हवन के बाद कमरे की हवा में मौजूद जीवाणुओं का परीक्षण किया और पाया कि दरवाजा खोले जाने और सारा धुआं निकल जाने के 24 घंटे बाद भी जीवाणुओं का स्तर सामान्य से 96% कम था। बार-बार परीक्षण करने पर यह पता चला कि एक बार हवन करने का असर एक माह तक रहा और कमरे की हवा में विषाणु स्तर 30 दिन बाद भी सामान्य स्तर से बहुत कम था।
भोपाल गैस कांड में यज्ञ :
1984 के भोपाल गैस कांड के दौरान अग्निहोत्र यज्ञ से कई परिवार सुरक्षित रहें। भोपाल में यूनियन कार्बाइड संयंत्र के पास रात को जब मिक गैस का रिसाव हुआ तो किसी के कुछ समझ में नहीं आया। जान बचाने सभी लोग सड़कों पर दौड़ने लगे और दौड़ते-दौड़ते गिरने भी लगे। इसी समय एक परिवार ने अग्निहोत्र यज्ञ किया और वहां मौजूद रोगों पर जहरीली गैस का कोई असर नहीं हुआ।
अग्निहोत्र यज्ञ
अग्निहोत्र यज्ञ को घर में आसानी से किया जा सकता है। यज्ञ से उत्पन्न अग्नि मनुष्य को सुरक्षा प्रदान करती है। हवन के लिए प्रयोग किया जाने वाला पात्र बाजार में आसानी से उपलब्ध हो जाता है। मिट्टी से बना हवन पात्र भी ले सकते हैं। यज्ञ में गाय के गोबर का कंडा, साबुत चावल और शुद्ध घी का इस्तेमाल होता है। यज्ञ करने के लिए पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए। कंडे में डालकर अग्नि अग्नि प्रज्वलित की जाती है
अग्निहोत्र यज्ञ सूर्योदय और सूर्यास्त के समय ही किया जाता है। प्रातः काल 12 आहुतियां और सायंकाल 12 आहुतियां दी जाती है। आहुति के लिए चावल में घी मिलाकर रख लेना चाहिए। यज्ञ करते समय घर के सभी सदस्यों को आस पास बैठना चाहिए।इस हवन से वातावरण में शुद्धि होती है कीटाणुओं का नाश होता है तथा मन में सकारात्मक भाव उत्पन्न होते हैं।
हवन का शरीर और मन पर प्रभाव
हवन का प्रभाव समूचे वातावरण पर पड़ता है ।शरीर के साथ मन पर भी इसका अच्छा प्रभाव पड़ता है ।वैज्ञानिक टौटिक अपने अनुसंधान में पाया कि यदि आधे घंटे तक हवन में बैठा जाए या फिर हवन के धुंए से शरीर का संपर्क हो तो टाइफाइड जैसे खतरनाक रूप फैलाने वाले जीवाणु मर जाते हैं और शरीर शुद्ध हो जाता है। सूक्ष्म तौर पर शरीर पर क्या-क्या प्रभाव पड़ता है इसे वैज्ञानिक अब तक परख नहीं सके हैं। परंतु शरीर के साथ मानव मस्तिष्क में भी हवन का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
वर्जन
हवन धार्मिक दृष्टि के साथ-साथ सभी के लिए लाभप्रद होता है। इसलिए घर, मंदिरों और खेतों तक में हवन किया जाता है। खेतों में हवन करने से फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं। आज जब हवा प्रदूषित हो रही है और घरों में भी प्रदूषण फैल रहा है इसे दूर करने के लिए हमें अपने घर में ही रोज यज्ञ करना चाहिए।
रविन्द्र गिन्नौरे संपादक-पर्यावरण ऊर्जा टाइम्स ,
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