Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

ब्रेकिंग :

latest

जानें कब है धनतेरस? ये है शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज । हिंदू धर्म का सबसे बड़ा त्यौहार दिवाली माना जाता है दिवाली से पहले धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के म...

छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज । हिंदू धर्म का सबसे बड़ा त्यौहार दिवाली माना जाता है दिवाली से पहले धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के मुताबिक कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है. इस दिन मां लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर यमराज और धन्वंतरि जी की पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार धनतेरस के दिन सोने-चांदी और घर के बर्तनों को खरीदना शुभ होता है. इस दिन विधि-विधान से की गई पूजा अर्चना से घर में सुख-समृद्धि का वास हो जाता हैै, इस साल धनतेरस 2 नवंबर (मंगलवार) के दिन मनाई जाएगी ।

इस वजह से धनतेरस मनाई जाती है

दिवाली की औपचारिक शुरुआत धनतेरस के पर्व से मानी जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान जब भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे, उस वक्त उनके हाथों में अमृत कलश था. वह दिन कार्तिक मास की त्रयोदशी थी. इस वजह से हर साल इस दिन को धनतेरस के रुप में मनाया जाने लगा. भगवान धन्वंतरि को चिकित्सा का देवता भी माना जाता है. परंपरा के अनुसार इसी दिन सोने-चांदी के आभूषण और घरों के लिए बर्तन खरीदे जाते हैं 

यह है धनतेरस का शुभ मुहूर्त

धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि, मां लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर और यमराज की पूजा की जाती है. विधि-विधान से पूजा-अर्चना के लिए सही मुहूर्त का होना भी जरूरी होता है. इस साल धनतेरस पर ये शुभ मुहूर्त हैं ।

धनतेरस – 2 नवंबर, मंगलवार

धन त्रयोदशी पूजा शुभ मुहूर्त – शाम 5 बजकर 25 मिनट से शाम 6 बजे तक 

प्रदोष काल – शाम 05 बजकर 39 मिनट से रात 08 बजकर 14 मिनट तक 

वृषभ काल – शाम 06 बजकर 51 मिनट से रात 08 बजकर 47 मिनट तक 

धनतेरस पर इस तरह करें पूजा

 धनतेरस के दिन पूजा-अर्चना करने के लिए सबसे पहले एक चौकी लें और उस पर लाल कपड़ा बिछा दें. अब उस पर गंगाजल का छिड़काव कर मां महालक्ष्मी, कुबेर देवता और भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा या तस्वीरों को स्थापित करें.

 इसके बाद भगवान की प्रतिमा/तस्वीरों के सामने शुद्ध (देसी) घी का दीपक जलाएं. उसके साथ ही धूप और अगरबत्ती को भी जलाएं. इसके बाद सभी देवी-देवताओं को लाल फूल अर्पित करें.

 इस दिन आपने जिस भी आभूषण, धातु या फिर बर्तन की खरीदारी की है उस चौकी पर रख दें. अगर खरीदारी नहीं की है तो घर में ही मौजूद सोने या चांदी के आभूषणों को भी चौकी पर रख सकते हैं.

इसके बाद लक्ष्मी यंत्र, लक्ष्मी स्त्रोत, लक्ष्मी चालीसा, कुबेर यंत्र और कुबेर स्त्रोत का पाठ करें. पूजन के दौरान लक्ष्मी माता के मंत्रों का भी जाप करते रहें. सभी देवताओं को मिष्ठान्न का भोग भी लगाएं ।

    संपादक

प्रदीप गंजीर ( छ. ग.)

मो. 9425230709

No comments