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अध्यात्म से जुड़ी खबर: आखिर मरने के बाद कहा जाती है आत्मा? जानिए कुछ अनसुन्ने रहस्य

  छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज अध्यात्म । स्वर्ग तथा नर्क सच में होता है या नहीं, इसके बारे में तो हम सब नहीं जानते, किन्तु इसको लेकर कई कहानियां आ...

 

छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज

अध्यात्म । स्वर्ग तथा नर्क सच में होता है या नहीं, इसके बारे में तो हम सब नहीं जानते, किन्तु इसको लेकर कई कहानियां आप सभी ने बचपन में अवश्य सुनी होंगी। अधिकतर घर के बड़े वृद्ध बच्चों को सही मार्ग दिखाने के लिए स्वर्ग तथा नर्क की कहानियां सुनाते थे तथा बताते थे कि अच्छे कर्म करने वालों को स्वर्ग प्राप्त होता है तथा बुरे कर्म करने वालों को नर्क की यातनाएं भोगनी पड़ती हैं। किन्तु हकीकत में स्वर्ग तथा नर्क किसी ने नहीं देखा, इसलिए ये कहानियां भी कहीं न कहीं व्यक्तियों के मन में एक भ्रम उत्पन्न करती हैं। हालांकि इस पर ज्योतिषों का कहना है कि हमारा शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है, जो कि नाशवान है। जबकि आत्मा अजर तथा अमर होती है। शरीर के समाप्त होने के पश्चात् भी आत्मा का सफर जारी रहता है। जब किसी की मौत होती है तो उसकी आत्मा शरीर से निकल जाती है। इसके पश्चात् आत्मा का क्या होता है, इसके बारे में गरुड़ पुराण में बहुत कुछ कहा गया है। जानिए इन बातों के बारे में ,...

शुरुआत में 13 दिनों के लिए यमलोक जाती है आत्मा:- गरुण पुराण के मुताबिक, मौत के पश्चात् यमलोक से दो यमदूत आत्मा को ले जाने के लिए आते हैं तथा वे केवल 24 घंटों के लिए आत्मा को अपने साथ लेकर जाते हैं। इन 24 घंटों में मृतक के परिवार वाले उसके शरीर का दाह संस्कार तथा अन्य कर्म करते हैं। तब तक आत्मा को यमलोक में शख्स के द्वारा किए गए अच्छे और बुरे कर्मों को बताया जाता है। इसके पश्चात् यमदूत आत्मा को वापस उसके घर पर छोड़ जाते हैं।

कर्मो के अनुसार होता है उसके लोक का निर्धारण:- 13 दिनों तक आत्मा अपने ही घर में रहती है। जब मृत्यु के पश्चात् 13 दिन की रस्में पूरी हो जाती हैं, इसके पश्चात् आत्मा को फिर से यमलोक ले जाया जाता है। 

मार्ग में तीन अलग-अलग लोकों के मार्ग होते हैं। पहला मार्ग देवलोक का होता है, दूसरा पितृलोक का तथा तीसरा मार्ग नर्क का होता है। शख्स के कर्मों के अनुसार उसके लोक का निर्धारण किया जाता है तथा उसे उसके लिए सुनिश्चित मार्ग की तरफ भेज दिया जाता है।

    संपादक

प्रदीप गंजीर ( छ. ग.)

मो. 9425230709

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