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आश्वासन के बाद भी भाटापारा पृथक जिला का सपना कब पूरा होगा ???

  छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज सत्यनारायण (सत्तू) पटेल । भाटापारा : - प्रदेश की सबसे बड़ी नगर पालिका होने के बावजूद 32 वर्षों पुरानी पृथक भाटापारा ...

 

छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज

सत्यनारायण (सत्तू) पटेल । भाटापारा : - प्रदेश की सबसे बड़ी नगर पालिका होने के बावजूद 32 वर्षों पुरानी पृथक भाटापारा जिला की मांग आज पर्यंत पूरा नहीं हो पाया है। सरकारे बदलती रही, नेता आश्वासन देते रहे लेकिन हासिल पाई कुछ नहीं..। आज भी भाटापारा की आम जनता जिले की आस लगाए बैठी है। पिछले 32 वर्षों में जिले के नाम पर भाटापारा को यदि कुछ मिला तो सिर्फ झूठा आश्वासन । राजनीतिक लाभ लेने के लिए संयुक्त जिला के नाम पर भाटापारा का नाम बलौदाबाजार के साथ जोड़ दिया गया, लेकिन मुख्यालय सहित सारे ऑफिस बलोदाबाजार में कर दिए गए, और भाटापारा को मिला ललचाने वाला झुनझुना साथ ही एक बार फिर भाटापारा की जनता को उपेक्षा का शिकार होना पड़ा। 

   शहीद नंदकुमार पटेल का सपना था कि कांग्रेस की सरकार आने पर भाटापारा को वे 28 वाँ जिला बनायेंगे,लेकिन वे झीरम घाटी में शहीद हो गए और उनका सपना सपना ही बनकर रह गया। तदुपरांत वर्तमान मुख्यमंत्री ने भी आदिवासी सम्मेलन में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने पर भाटापारा को स्वतंत्र राजस्व जिला घोषित करने की बात कही थी लेकिन 3 साल बीत जाने के बाद भी भाटापारा जिला नहीं बन पाया है , जबकि मुख्यमंत्री द्वारा लगातार लगभग आधे दर्जन से भी ज्यादा जिले की घोषणा कर दी गई है मगर भाटापारा का नाम शायद भूल से गए हैं ၊ जिले की सारी योग्यता रखने के उपरांत भी भाटापारा पिछले 32 वर्षो से उपेक्षित है जिसका खामियाजा यहॉं की आम जनता भुगत रही है।

   32 वर्ष पहले तत्कालीन मध्यप्रदेश में दुबे आयोग गठित की गई थी। आयोग के रिपोर्ट में लिखा था कि भाटापारा जिला  बनने की पूर्ण पात्रता रखता है। यदि दुबे आयोग की रिपोर्ट को लागू कर दी जाती तो आज से 32 वर्ष पूर्व ही भाटापारा जिला बन गया होता लेकिन दुबे आयोग की रिपोर्ट को महत्ता न देकर अन्य क्षेत्र को जिला बना दिया गया और भाटापारा जिला बनने से चूक गया। 

 भाटापारा छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी नगरपालिका है। प्रदेश में अनाज की सबसे बड़ी मंडी होने के कारण भाटापारा व्यापार का प्रमुख केंद्र है जहाँ पर लगभग 100 किमी तक के किसान व्यापारी और आम जनता सीधा जुड़े हुए है। हावड़ा-मुंबई प्रमुख रेल मार्ग होने के कारण आसपास की सभी सीमेंट कंपनियों का लदान भाटापारा से ही होता है जिससे सरकार को अरबों रुपए की राजस्व प्राप्ति होती है। सड़क मार्ग से सीधा संपर्क प्रदेश के प्रमुख शहरों से है। 

 यहाँ 550 के आस पास  राइस मील, पोहा मील और दाल मील हैं जिससे रोजगार के पर्याप्त अवसर हैं। जिले के लिए पर्याप्त संसाधन, जमीन और पानी की उपलब्धता आदि भाटापारा को जिला बनाने के लिए पर्याप्त है, लेकिन यहां के कुंभकरणी नींद में सोए हुए नेताओं को इसकी जरा सी भी फिक्र नहीं है ၊दाऊ कल्याण सिंह की जन्म भूमि एवं कर्मभूमि भाटापारा के नजदीक से जीवनदायिनी शिवनाथ नदी होकर गुजरती है इस वजह से यहां साल भर पानी की उपलब्धता रहती है जो कि जिला मुख्यालय के लिये निहायत जरूरी है। बड़ी विडम्बना है कि छत्तीसगढ़ के कुल 33 जिलों में से 21 जिलों के जिला मुख्यालय की जनसंख्या भाटापारा की जनसंख्या से काफी कम है लेकिन उसके बावजूद उन्हें जिला मुख्यालय का दर्जा प्राप्त है। जो कि भाटापारा  और  यहां के उदासीन निष्क्रिय नेताओं के लिए बहुत दुर्भाग्य की बात है जो अपने फायदे के लिए यहां की जनता को ताक में रख देते हैं ၊भाजपा के  15 साल के कार्यकाल में विपक्ष में रहे कांग्रेसी नेताओं ने जिले के मुद्दे पर भाजपा नेताओं को खूब घेरा, हर हफ्ते महीने में चौक चौराहों पर पंडाल लगाकर भाजपा को कोसते रहे यहां तक की कहने लगे कि जिले बनाने का पावर कलेक्टर को भी होता है ၊ लेकिन अब जब उनकी सरकार बन गई तब वे भाटापारा को जिला क्यों नहीं बनवा पा रहे हैं यह आमजनता की समझ से परे हैं। भूपेश है तो भरोसा है का नारा देने वाले कांग्रेसी नेताओं के पास आश्वासन के सिवाय कोई जवाब नहीं है। अब जबकि गेंद कांग्रेसी और मुख्यमंत्री के पाले में हैं इसलिए देखना होगा कि वे अपने वादे पर कितना खरा उतरते हैं, या उनका वादा हवा हवाई की तरह फुर्र हो जाएगा। 

क्या वे स्व. नंदकुमार पटेल  का सपना पूरा करेंगे या पिछली सरकार की भाँति पतली गली से अपना स्वार्थ पूरा कर निकल जाएंगे। पृथक भाटापारा जिला के लिए लगातार कई वर्षों से धरना, प्रदर्शन एवं आंदोलन होते रहे हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव के पहले लगातार 13 महीने तक धरना प्रदर्शन और आंदोलन हुए। 

संघर्ष समिति ने नारा दिया था -"अभी नहीं तो कभी नहीं" लेकिन प्रशासन अपनी कुंभकर्णी नींद से नहीं जागा। भाटापारा जिला निर्माण संघर्ष समिति आज पर्यंत लगातार प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से संपर्क बनाए हुए हैं और उन्हें उनका किया हुआ वादा याद दिला रही है। अब देखना यह है कि प्रदेश के मुखिया किस दिन पृथक भाटापारा जिले की घोषणा करते हैं। 

स्वर्गीय नंद कुमार पटेल के सपने को प्रदेश के मुखिया कब साकार करते हैं?  जिला निर्माण संघर्ष समिति अब आर-पार की स्थिति में है। आगामी विधानसभा चुनाव में जिले का मुद्दा ही सबसे प्रमुख होगा। यहाँ की जनता का अब एक ही नारा है - "तुम हमें जिला दो हम तुम्हें विधायक देंगे" जिला नहीं तो विधायक नहीं। अंत में सवाल यही है आखिर भाटापारा पृथक जिला का सपना कब पूरा होगा  ??   

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