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कुरुद में धूमधाम से निकली भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा, उमड़े श्रद्धालु

  छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज मुकेश कश्यप कुरूद :- कोरोना आपदा के दो बरस पश्चात नगर सहित अंचल में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का हर्षोल्लास अपने चरम ...

 

छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज

मुकेश कश्यप कुरूद :- कोरोना आपदा के दो बरस पश्चात नगर सहित अंचल में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का हर्षोल्लास अपने चरम देखा गया।सन 2019 के बाद से लगातार दो वर्षों तक वैश्विक महामारी के प्रभाव स्वरूप रथयात्रा नही निकाली गई थी,परंतु इस बार रथयात्रा निकलने से पर्व की रौनकता पुनः लौट आई है।कुरुद नगर में शुक्रवार को पारंपरिक रथयात्रा पूर्ण विधिविधान के साथ शुभमुहूर्त में निकाली गई।भक्त गण प्रभु की एक झलक पाने बेताब रहे और भारी संख्या में आस्था व भक्ति भाव के साथ दर्शन के लिए उमड़ पड़े।

        कुरुद में प्रतिवर्ष की तरह इस बार भी दोपहर में विधिवत रथयात्रा निकाली गई। जो कि मुख्य से होते हुए नगर भ्रमण करती रही।भक्तों ने परंपरानुसार रथ को खींचते हुए अपनी आस्था प्रकट कर जनकल्याण व खुशहाली की कामना की।काफी देर तक इस दौरान भव्य भक्ति मय वातावरण रहा।नगर के ह्र्दय स्थल पुराना बाजार चौक में आजाद हिंदु युवा मंच व कारगिल चौक में हनुमान सेवा समिति द्वारा प्रसादी वितरण किया गया व ग्रामीण अंचलों से आए भक्तगण काफी समय तक इस मनभावन पल के सहभागी बने रहे।

            मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा में शामिल होने से व्यक्ति को 100 यज्ञों के बराबर पुण्यफल मिलता है और जीवन से जुड़े तमाम सुखों को भोगता हुआ अंत में मोक्ष को प्राप्त होता है।यही कारण है कि देश-दुनिया से लोग अपनी और अपने परिवार की खुशहाली की कामना लिए इस रथयात्रा में शामिल होने के लिए पहुंचते हैं।

          हिंदू धर्म में चार धामों का विशेष महत्व है। इन्हीं चार धामों में से एक धाम है जगन्नाथ पुरी, जो कि उड़ीसा के पुरी क्षेत्र में स्थित है।

इस क्षेत्र को श्रीक्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है। भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण का ही एक रूप है जगन्नाथ। जगन्नाथ का अर्थ होता है जगत का स्वामी। हिंदू धर्म में हर साल होने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा को काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। आषाढ़ मास की द्वितीय तिथि को ये रथ यात्रा शुरू होती है और शुक्ल पक्ष के 11 वे दिन भगवान की वापसी के साथ इसका समापन होता है। इस रथ यात्रा में हजारों की संख्या में भक्तगण शामिल होते हैं। मान्यता है कि जगन्नाथ रथ यात्रा में शामिल होने से व्यक्ति के जीवन से सभी दुख, दर्द और कष्ट समाप्त हो जाते हैं।भगवान श्रीकृष्ण (भगवान जगन्नाथ) हर साल अपनी मौसी के घर जाते हैं। इस दौरान मौसी के घर पर उनके साथ बड़े भाई बलराम और छोटी बहन सुभद्रा भी जाती है। इसी कड़ी में इन तीनों की मूर्तियों को जगन्नाथ मंदिर में बड़े से रथ पर सवार किया जाता है। इसके बाद तीनों को रथ यात्रा के जरिए उनकी मौसी के घर गुंडीचा मंदिर में ले जाया जाता है। इस रथ यात्रा में शामिल होने के लिए भारी मात्रा में श्रद्धालु इकट्ठा होते हैं। जगन्नाथ पुरी की रथ यात्रा विश्व भर में काफी लोकप्रिय है। इस रथ यात्रा में देश-विदेश से लाखों लोग शामिल होने के लिए आते हैं।  मान्यता है कि इस रथ यात्रा में शामिल होने से व्यक्ति के जीवन से सभी प्रकार के दुख दर्द दूर हो जाते हैं, हिंदू धर्म में जगन्नाथ पुरी धाम को मुक्ति का द्वार कहा गया है। 

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