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कुरुद में धनतेरस व नरकचतुर्दशी पर जगमगाए दीप, पर्व का छाया रहा उल्लास

  छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज मुकेश कश्यप कुरुद:- नगर सहित अंचल में धनतेरस व नरकचतुर्दशी पर्व पर हर्षोल्लास बना रहा। हालांकि धनतेरस पर्व दो दिन पड़न...

 

छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज

मुकेश कश्यप कुरुद:- नगर सहित अंचल में धनतेरस व नरकचतुर्दशी पर्व पर हर्षोल्लास बना रहा। हालांकि धनतेरस पर्व दो दिन पड़ने के भ्रम के कारण इसके प्रति भ्रांति बनी रही। लोगो ने उत्सव की खुशियों में शरीक होकर जगमग-जगमग दीप जलाकर एक पर्व के उत्साह में डूबे रहे।

         मिली जानकारी के अनुसार शनिवार को धनतेरस व रविवार को नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया।जबकि कुछ लोगो ने रविवार को भी धनतेरस का पर्व मनाया।आमजनो ने शाम होते ही घर-आंगन में दिए जलाकर विधिवत पूजा-अर्चना करते हुए परम्परा का निर्वहन किया। इस दौरान ख़ुब फटाखे फोड़े गए व पर्व की बधाईयां बाँटी गई। इसी तरह कुरुद में त्यौहारी भीड़ बाजार में बनी रही। कपड़े , मिठाईयां , फटाखे ,दिए , पूजा सामान सहित विभिन्न चीजों की जमकर खरीदारी हुई।सुवा गीतों की गूंज से वातावरण में दीपोत्सव की मोहकता बनी रही।साथ ही गौरी-गौरा पूजन की तैयारी में लोग डुबे रहे।

           विदित है भारत में दीपावली का शुभारंभ ‘धनतेरस’ के त्योहार के साथ होता है।पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन ही भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था। धन्वन्तरि जी जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथों में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वन्तरि पीतल का कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए इस अवसर पर बर्तन खरीदने की अनोखी परम्परा आज भी प्रचलित है। धन्वन्तरि देवताओं के वैद्य और चिकित्सा के देवता माने जाते हैं। इसलिए चिकित्सकों के लिए धनतेरस का दिन बेहद अहम होता है। इसी तरह नरक चतुर्दशी कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाने वाला एक पर्व है। इसे नरक चौदस, रूप चौदस और रूप चतुर्दशी भी कहा जाता है।नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली और काली चौदस भी कहा जाता है।इस दिन यमराज के लिए दिए जलाए जाने का विधान है।माना जाता है कि छोटी दिवाली पर ऐसा करने से हर तरह का भय समाप्त हो जाता है और परिवार की अकाल मृत्यु नहीं होती है।

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