Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

ब्रेकिंग :

latest

कुरुद में सुआ गीतों से महका वातावरण "तरी-हरी ना न रे" की गूंज ने बढाई दीपावली पर्व की रौनकता

  छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज मुकेश कश्यप कुरुद:- नगर सहित अंचल में दीपावली पर्व का उत्साह चरम पर है। साल के सबसे बड़े त्यौहार के आगमन से चारों ओर ...

 

छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज

मुकेश कश्यप कुरुद:- नगर सहित अंचल में दीपावली पर्व का उत्साह चरम पर है। साल के सबसे बड़े त्यौहार के आगमन से चारों ओर हर्षोल्लास का वातावरण बना हुआ है। छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति व परम्परा में इस पर्व की महत्ता अपने आप मे अनूठी रहती है। धनतेरस से लेकर भाईदूज व मातर पर्व तक दीपावली पर्व की खुशियों में हर वर्ग जुटे होते है।

         नगर सहित अंचल में इन दिनों पर्व की तैयारी चरम पर है।घरों का रंग-रोगन अंतिम चरम पर है। नन्हे-मुन्हे बच्चों द्वारा घरों-घर ,आंगन व द्वार पर जाकर सुवा गीत गाकर लोकपरम्परा का निर्वहन किया जा रहा है। इसी तरह बाजार खरीदारी के लिये तैयार है व ग्राहकों की आस में व्यापारी गण लगे हुए है।वहीं गौरी-गौरा समितियों द्वारा पारंपरिक गौरी-गौरा बिहाव की तैयारी के लिए रूपरेखा बनाई जा रही है।

           विदित है कि सुआ गीत छत्तीसगढ़ राज्य का पारंपरिक लोक नृत्य गीत है। यह दीपावली के पर्व पर महिलाओं द्वारा गाया जाने वाला गीत है। सुआ का अर्थ होता है 'तोता'। सुआ एक पक्षी होता है जो रटी-रटायी बातों को बोलता/दोहराता है। इस लोकगीत में स्त्रियां तोते के माध्यम से संदेश देते हुए गीत गाती हैं। इस गीत के जरिए स्त्रियां अपने मन की बात बताती हैं, इस विश्वास के साथ कि वह (सुवा) उनकी व्यथा उनके प्रिय तक पहुँचायेगा। इसलिए इसको कभी-कभी वियोग गीत भी कहा जाता है। धान की कटाई के समय इस लोकगीत को बड़ी उत्साह के साथ गाया जाता है। इसी के साथ शिव-पार्वती (गौरा-गौरी) का विवाह उत्सव, गोवर्धन पूजा, भाईदूज, मातर आदि इस पांच दिवसीय पर्व के दौरान मनाया जाता है, जिसका उत्साह देखते ही बनता है।

No comments