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जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन की ढीले रवैय्ये से धर्म विशेष समुदाय के हज़ारों लोग हुए बेघर, हज़ारों लोगों के व्यवस्थापन के नाम पर प्रशासन ने अर्धनिर्मित ग्राम पंचायत के भवन में किया व्यवस्था, जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध

नारायणपुर :- विगत 3 महीनों से हो रहे धर्म विशेष समुदाय के लोगो पर हो रहे धर्मांतरण के नाम पर हिंसा,घरों में तोड़फोड़ प्रशासन की उदासीन रवैय्ये...

नारायणपुर:- विगत 3 महीनों से हो रहे धर्म विशेष समुदाय के लोगो पर हो रहे धर्मांतरण के नाम पर हिंसा,घरों में तोड़फोड़ प्रशासन की उदासीन रवैय्ये के वजह से विगत 3 दिन पूर्व करीब 20 गाँवो में एक ही दिन में गाँव के ही दबंगो द्वारा इस विशेष समुदाय के हज़ारों लोगो के घरों में घुसकर जमकर उत्पात मचाकर उन्हें उन्ही के घर से बेदखल कर दिया।इतना ही नही बच्चे बूढ़े,विकलांग तथा गर्भवती महिलाओं के साथ भी ये दबंगो ने हिंसा की सारी मर्यादाएं लांग दी जिसपर समुदाय के हज़ारों लोगो ने नारायणपुर कलेक्टोरेट में रात भर धरने पर बैठ गए।आनन फानन में जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के अधिकारियों ने गांव से खदेड़े गए इन हज़ारों लोगों को व्यवस्थापन के नाम पर जिले के ही इंडोर स्टेडियम और रेन बसेरा में इन लोगो के लिए एक आश्रय स्थल के रूप में आश्रय दिया परन्तु एक ऐसा आश्रय स्थल जहाँ न खाने की कोई व्यवस्था की गई और न ही किसी भी प्रकार की कोई अन्य व्यवस्था रखी गयी।

एफ आई आर को लेकर पुलिस प्रशासन के अधिकारियों की भूमिका भी संदेहास्पद

तत्पर पुलिस का किताब लेने वाली नारायणपुर पुलिस इन दबंगों के सामने बोनी नजर आती है विगत 3 माह से इस समुदाय के लोगों पर हो रहे हिंसा और इनके घरों को तोड़ने छोड़ने और इनके घरों के सामानों को जला देने तितर-बितर करने जैसे सैकड़ों अपराध हुए हैं जिसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है परंतु बोनी नारायणपुर पुलिस अभी तक किसी भी मामले में एफ आई आर दर्ज करने में असफल ही रही है या फिर कहें की इन दबंगों के सामने नारायणपुर पुलिस मूकदर्शक और कुंभकरण नींद में है जिसका खामियाजा यह विशेष समुदाय के हजारों लोग आज अपने घरों से बेघर होकर चुका रहे हैं परंतु कुंभकरण ीय नींद में सोई हुई नारायणपुर पुलिस और इन दबंगों की मिलीभगत इस बात से साफ जाहिर हो जाती है कि इतने अपराध होने के बावजूद भी शिकायत करने के बाद भी अभी तक किसी भी मामलों में एक f.i.r. तक दर्ज नहीं की गई है

बेनुर एसडीओपी और बेनुर थाना प्रभारी भी संदेह के घेरे में

मीडिया कर्मियों से बातचीत करने के दौरान प्रताड़ना झेल रहे समुदाय के लोगों ने बताया की लगातार हमारे साथ जो भी हादसे हो रहे हैं उनकी लिखित शिकायत थाना प्रभारी के पास लेकर जाने के बावजूद भी थाना प्रभारी ने शिकायत तो ली परंतु उसकी रिसीविंग नहीं दिया इतना ही नहीं हम लोगों पर डरा धमका कर समझौता कराने का कई बार प्रयास किया गया और इस बार भी किसी भी प्रकार की शिकायत दर्ज नहीं की गई और लगातार हमें शिकायत दर्ज कराने के नाम पर थानों में घंटों बैठा कर हमें गुमराह किया गया इन सभी घटनाक्रमों को देखते हुए कहीं ना कहीं बेनूर थाना प्रभारी और बैनूर एसडीओपी की भूमिका है काफ़ी संदिग्ध नजर आ रही है।

एसडीओपी ने रायपुर से आए पत्रकारों के साथ की अभद्रता

घटना की जानकारी लगते ही रायपुर से आए पत्रकारों की टीम के साथ फोन पर बेलूर एसडीओपी रितेश श्रीवास्तव ने जमकर बदतमीजी की ग्रामीणों की व्यवस्थापन को लेकर जब एसडीओपी रितेश श्रीवास्तव से मीडिया कर्मियों ने जब बात करना चाहा तो पहले तो टालमटोल कर दिया गया परंतु उसके पश्चात जब घटिया व्यवस्थापन को लेकर बातचीत करने की कोशिश फोन के माध्यम से की गई तो एसडीओपी रितेश श्रीवास्तव ने गाली गलौज करते हुए पत्रकारों को ही व्यवस्थापन करने की बात की गई।

करीब 1000 लोगों के लिए आशियाना बना अर्ध निर्मित पंचायत भवन

मीडिया कर्मियों ने व्यवस्थापन को लेकर ग्राउंड जीरो में जाकर रिपोर्टिंग की गयी जिसमें कई सारी खामियां सामने आए थाने से उभरकर सामने आई। करीब 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक अर्ध निर्मित पंचायत भवन जिसमें ना शौचालय की व्यवस्था थी और ना पानी बिजली रोशनी और सबसे महत्वपूर्ण बात 1000 से अधिक लोगों के लिए एक छोटे से आशियाने की व्यवस्था की गई थी दिन भर से भूखे रहने के बाद जब समुदाय के लोगों द्वारा इस घटिया आश्रय स्थल पर जाया गया तो सारी वास्तविकता सामने आ पाई जिस पर मीडिया कर्मियों ने ग्राउंड जीरो की रिपोर्ट बनाकर हमारे चैनल के माध्यम से पुलिस और जिला प्रशासन के अधिकारियों के उदासीनता की तस्वीर आप सभी के समक्ष रख दी।


सबूतों के साथ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई गई परंतु किसी भी प्रकार की कोई भी कार्यवाही नहीं की गई


इन सभी बातों से यह जग जाहिर होता है कि नारायणपुर की जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन ठीक तरीके से कार्य नहीं कर रहे हैं जिसकी वजह से इसका खामियाजा उन हजारों लोगों को उठाना पड़ रहा है जो एक धर्म विशेष पर अपनी आस्था रखते हैं जिसकी स्वतंत्रता संविधान देता है।


कड़ाके की ठंड में घरों के बार रहने को मजबूर ग्रामीण

पुलिस प्रशासन और जिला प्रशासन के लचर रवैया के वजह से करीब 1000 लोगों से ज्यादा कड़ाके की ठंड मैं अपने घरों से बाहर रहने को मजबूर हैं। अगर जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन समय रहते इन घटनाओं पर काबू पाकर कड़ी कार्रवाई कर देता तो आज इन ग्रामीणों को अपने घरों के बाहर रहना नहीं पड़ता।

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