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सतनाम धर्म के उपासक थे गुरु घासीदास बाबा जी - नीलम चन्द्राकर

  छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज मुकेश कश्यप कुरूद:- ग्रामीण अंचलों में गुरु घासीदास बाबा की जयंती मानने का जोर शोर है, इसी तरह कुरूद क्षेत्र के नगर क...

 

छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज

मुकेश कश्यप कुरूद:- ग्रामीण अंचलों में गुरु घासीदास बाबा की जयंती मानने का जोर शोर है, इसी तरह कुरूद क्षेत्र के नगर कुरूद चंडी पारा ग्राम जामगांव (जी) कोडेबोड भाटापारा में गुरु घासीदास बाबा की जयंती का कार्यक्रम रखा गया, जिसके मुख्यातिथि के रूप में पहुंचे कृषि उपज मंडी समिति कुरूद के अध्यक्ष नीलम चन्द्राकर।

           सर्वप्रथम मुख्यातिथि नीलम ने गुरु घासीदास बाबा के फोटो में पुष्प एवं माल्यार्पण किए, तत्पश्चात समस्त समाज जानो को गुरु घासीदास बाबा जयंती की बधाई दिए 

          नीलम ने अपने उद्बोधन में कहा कि घासीदास जी द्वारा कही गयी एक बात 'मनखे मनखे एक समान' मानवता की बहुत बड़ी परिचायक है। वैसे तो सभी ग्रंथो में सत्य एवं अहिंसा का पालन करने को कहा गया है, किंतु बाबा घासीदास जी ने सतनाम का संदेश जन-जन तक पहुँचाने के लिए घनघोर संघर्ष एवं तपस्या की। उन्होंने शोषित-पीड़ित समाज को न्याय दिलाने के लिए लोगों को संगठित करने का काम किया। समाज मे फैले ऊँच-नीच के भेदभाव को समाप्त कर एकता का सूत्र में पिरोने का काम किया। उनके प्रयासों से छत्तीसगढ़ के बहुसंख्यक समाज संस्कारित हुए।

            आगे नीलम ने कहा कि बाबा जी ने अपने जीवन के माध्यम से हमें यह संदेश दिया कि महान बनने के लिए कड़ी तपस्या, साधना व त्याग ये तीनों आवश्यक होते हैं। बाबा जी के दिये गए संदेश आज भी प्रासंगिक है। हमें बाबा घासीदास जी के इस संदेश, मार्ग, आचरण को हमें जीवन में उतारना है। जीवन जोड़ने की कोशिश करने वाले बाबा जी के बताए मार्ग पर चलते हुए हम सबको इस देश को जोड़ने का काम करना है। नीलम ने बाबा जी के जीवन का विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि गुरु घासीदास का जन्म 1756 में गिरौदपुरी नामक स्थान में हुआ था, जो वर्तमान में बलौदाबाजार जिला के अंतर्गत आता है। उनके पिता का नाम महंगू दास और माता का नाम अमरौतिन था। अमरौतिन के तीन पुत्र थे सबसे बड़ा ननकू, मंझला मनकू और छोटा घसिया, घसिया ही बड़ा होकर श्री सतनाम धर्माचार्य परम पूज्य संत शिरोमणि गुरु घासीदास जी बाबा के नाम से विख्यात हुए। गिरौद पहाड़ में 6 महीने कठोर तपस्या कर सत्य दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ। सतनाम धर्म के उपासक थे। पढ़े लिखे नहीं थे, फिर भी महान ज्ञानी थे। 

           कार्यक्रम में उपस्थित रहे जिला पंचायत सभापति तारिणी नीलम चन्द्राकर पार्षद रोशन जांगड़े, सरपंच सुलोचना महिलांग, मनोज भतपहरी, रामचंद चेलक, खुबलाल चेलक , कार्तिक रात्रे, कृपाराम महीलांग, बाबूलाल महिलांग, पुरन टंडन, सुकुलजी भंडारी, गौरी नेताम सरपंच, राजेश भतपहरी, कामता भतपहरी, लोकेश कुर्रे, दुकालू बंजारे, टापू राम महिरवाल, धनेश जांगड़े, संतु चेलक, नेहरू कुर्रे, हेमप्रसाद, बसंत, रवि मारकंडे, दिनेश, वीरेंद्र, महेश, जागेश्वर, विष्णु, लोकेश, योगेश, कंचन, डेवसिंग, देवचंद एवं समाज के अनेकों नागमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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