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अब किसानों को धान बेचने लगाना होगा अंगूठा, रुकेगी गड़बड़ी

  छत्तीसगढ़ कौशल न्युज रायपुर:- जिले में समर्थन मूल्य पर होने वाली धान की खरीदी में कोई गडबड़ी नहीं हो इसके लिए राज्य सरकार द्वारा लगातार कोश...

 


छत्तीसगढ़ कौशल न्युज

रायपुर:- जिले में समर्थन मूल्य पर होने वाली धान की खरीदी में कोई गडबड़ी नहीं हो इसके लिए राज्य सरकार द्वारा लगातार कोशिश की जा रही है। जिसमें अब तक उम्मीद के मुताबिक सफलता भी मिली है। इस साल पिछले साल की तुलना में धान की अधिक खरीदी की संभावना को देखते हुए सरकार धान खरीदी में गड़बड़ी को रोकने के लिए अब धान बेचने आने वाले किसानों का मौके पर फिंगर प्रिंट भी लिया जाएगा।

इसके लिए किसानों से 31 अक्टूबर तक समितियों में अपना आधार नंबर और उसके द्वारा नामित एक अन्य रिश्तेदार का आधार पंजीयन कराने के लिए कहा गया है। जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के अधिकारियांे ने बताया कि फर्जी खरीदी रोकने के लिए इस साल आधार आधारित बायोमेट्रिक ऑथोराइजेशन अपनाया जाएगा। जिसमें धान बेचने के लिए किसान को स्वयं अथवा उसके द्वारा नामित व्यक्ति द्वारा समिति में आकर धान बेचते समय अपने उंगलियों के निशान की सहायता से आधार पर आधारित बायोमेट्रिक प्रणाली की प्रक्रिया को पूरी करनी होगी। नई व्यवस्था के तहत सभी समितियों में 31 अक्टूबर तक किसानों के आधार नंबर और उसके द्वारा नामित एक अन्य रिश्तेदार का आधार नंबर दर्ज करवाना होगा। अर्थात कोई भी किसान खुद या उसके द्वारा नामित किसी भी अन्य रिश्तेदार को धान बेचते समय खरीदी केन्द्र जाकर उंगलियों के निशान देकर आधार से सत्यापित करना होगा। नई पद्धति से अब जिले में फर्जी धान खरीदी की शिकायतों पर भी अंकुश लगेगा। सहायक खाद्य अधिकारी दिव्या रानी कार्यांत ने बताया कि खरीफ वर्ष 2023-24 में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी में पारदर्शी में सुधार के लिए बायो मैट्रिक आधारित खरीदी प्रणाली लागू की जा रही है। जिसमें किसान अपना बायो मैट्रिक आधार मतलब (अंगूठा लगाकर) प्रमाणीकरण के पश्चात् धान की बिक्री कर सकता है। जिस तरह से पीडीएस की दुकान पर राशन लेने के लिए अंगूठा लगाना पड़ता है।

किसानों का समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के दौरान कोई असुविधा न हो इसके लिए उनके परिवार एवं रिश्तेदारों को नामिनी बनाने की सुविधा प्रदान की गई है। जिसके आधार पर स्वत: उपस्थित होकर या उनके द्वारा बनाए गए नामिनी के द्वारा धान की बिक्री की जा सकती है। दरअसल, जिस व्यक्ति के नाम पर पंजीयन होता है। वह धान बेचने नहीं जा पाता तो उसके रिश्तेदार या परिवार के अन्य सदस्य सोसायटी पहुंचते हैं। इससे परेशानी न हो इसलिए नामिनी बनाने की सुविधा दी गई है।

इससे पहले यह सुविधा शासन ने मृत व्यक्तियों को लेकर दी गई थी। अब यह जिंदा व्यक्तियों को दी गई है। यदि किसी कारणवश पंजीकृत किसान अपना नामिनी अथवा आधार नंबर परिवर्तन कराना चाहता है तो उसका अनुमोदन अनुविभागीय अधिकारी राजस्व एवं तहसीलदार द्वारा किया जाएग । गतवर्ष पंजीकृत किसानों का पंजीयन उनके मृत्यु एवं अन्य कारणों से निरस्त किए जाने हेतु ऐसे किसानों की जानकारी तहसीलदारों को भेजीजाएगी। तहसीलदार को दी गई लॉगिन आईडी से किसान पंजीयन निरस्त की कार्रवाई की जाएगी।

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