छत्तीसगढ कौशल न्युज यशवंत गंजीर कुरुद:- मानस ग्राम सांकरा में राधे-राधे सत्संग समिति के तत्वावधान में आयोजित नौ दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथ...
यशवंत गंजीर कुरुद:- मानस ग्राम सांकरा में राधे-राधे सत्संग समिति के तत्वावधान में आयोजित नौ दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा के दूसरे दिन कथा वाचक उज्जैन से पहुंची हुई बालवुदुषि प्रभु प्रिया ने सती चरित्र के बारे में बताया एवं सनातन से जुड़ी स्त्रियों को कभी भी अकेले कही नही जाने की सलाह दी।
उन्होंने कथा सुनाते हुए कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम मानव जीवन के लिए सर्वोत्तम आदर्श है। हमे हमेशा सद्विचार के साथ मर्यादा का पालन करना चाहिए। उन्होंने माता सती के चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि सती ने भगवान शिव के मना करने के बाद भी अपना भ्रम दूर करने माता सीता का रूप धर कर श्रीराम की परीक्षा ली एवं परीक्षा में असफल व लज्जित हुए। सीता का रूप धारण कर लेने के कारण शिव जी को उन्हें त्यागना पड़ गया। भगवान की लीलाओं के चलते सती को योग अग्नि में स्वयं को समाहित कर अपना शरीर का नाश करना पड़ा।
....स्त्री को कही भी स्वतंत्र नही जाना चाहिए
प्रभु प्रिया ने कथा में आगे बताया कि स्त्री को कभी भी अकेले कही स्वतंत्र रूप से नही जाना चाहिए। अविवाहित को माता पिता, विवाहित को पति का और बुजुर्गों को अपने बेटे-बेटियों का। इनके साथ न होने से हमेशा किसी अनहोनी होने का डर रहता है। माता सती ने भी यही गलती की थी। जब श्रीराम की परीक्षा ली तो अकेले चली गई बाद में जब उसके पिता ने यज्ञ आयोजित किया तो भी बिना आमंत्रण व पति के वहां पहुंच गये परिणाम में उन्हें अपमानित होना पड़ा, जिसके चलते उनके सती रूप का अंत हो गया है। इतना ही नही कभी भी हमें चार लोगों जिसमे भगवान, गुरु, माता-पिता व सन्तो का कभी भी परीक्षा नही लेना चाहिए ऐसा करने से पाप का भागीदार बनना पड़ सकता है।
इसके पहले दिन गांव में कलशा यात्रा निकालकर देव स्थापना के साथ कथा प्रारम्भ करवाया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में पीलसाय साहू, अंगेश साहू, हरख साहू, ओंकार साहू, दिनेश साहू, टिकेश साहू, लूनकरण साहू, यशवंत यादव, चंदू, हरलाल साहू, नारायण, पारस, झम्मन समेत आयोजन समिति के सदस्यगण जोर शोर से जुटे हुए है।
No comments