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तेल एवं रसायन उद्योग में खतरनाक अपशिष्ट प्रबंधन पर व्याख्यान

  भिलाई:-द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स  (इंडिया) की भिलाई शाखा द्वारा गुरुवार, दिनांक 28 नवंबर 2024 को तेल एवं रसायन उद्योग में खतरनाक अपशिष...

 


भिलाई:-द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स  (इंडिया) की भिलाई शाखा द्वारा गुरुवार, दिनांक 28 नवंबर 2024 को तेल एवं रसायन उद्योग में खतरनाक अपशिष्ट प्रबंधन पर एक तकनीकी व्याख्यान का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ श्वेता चौबे, प्राध्यापक रसायन शास्त्र एवं विभागाध्यक्ष, बेसिक साइंस, शासकीय इंजिनियरिंग महाविद्यालय, रायपुर थी एवं विशेषज्ञ अतिथि वक्ता डॉ अजोय मंडल, सी ई ओ  एवं प्रमुख वैज्ञानिक,  एम आई ई बी आर एस, नई दिल्ली थे।

मुख्य अतिथि डॉ श्वेता चौबे ने अपने उद्बोधन का प्रारंभ मुंबई में सन् 2010 में समुद्री जहाजों के टकराव के बाद समुद्र एवं तटीय क्षेत्रों में हुए तेल के फैलाव से उत्पन्न हुई परिस्थितियों से की। उन्होंने इसकी वजह से समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र और मानव जीवन पर हुए दुष्प्रभाव की जानकारी दी। डॉ चौबे ने बताया कि उद्योग क्षेत्र में सर्वाधिक खतरनाक अपशिष्ट केमिकल इंडस्ट्री की उत्पादन प्रक्रिया में उत्पन्न होते हैं। डॉ श्वेता चौबे ने खतरनाक कचरे के प्रकार और उसकी छटाई, उसके भंडारण और निष्पादन के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने कहा कि रासायनिक और अन्य प्रक्रियाओं द्वारा खतरनाक और विषैले पदार्थों को कम विषैले पदार्थों या हानि रहित पदार्थों में परिवर्तित करने के पश्चात ही निष्पादन किया जाना चाहिए। डॉ चौबे ने खतरनाक पदार्थों की प्रकृति के अनुसार उनके भंडारण की विधि को समझाया, उदाहरण स्वरूप जंग की प्रकृति के पदार्थ को यदि धातु के बक्से में रखा गया तो बक्से के गल जाने की संभावना है अतः भंडारण हेतु सही वस्तु का चयन अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने भारत में विभिन्न राज्यों में उपलब्ध खतरनाक कचड़ों के उपचार के पश्चात भंडारण हेतु टी एस डी एफ सुविधा के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार खतरनाक पदार्थों के उपचार पश्चात भंडारण हेतु अभी सिर्फ बीस राज्यों में टी एस डी एफ सुविधा उपलब्ध है।डॉ श्वेता चौबे ने कहा कि टी एस डी एफ में जमीन के भीतर एक अभेद्य सतह बनाई जाती है जिससे किसी भी पदार्थ के द्वारा मिट्टी या भूमिगत जल को कोई नुकसान ना पहुंचे।  उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में यह सुविधा सिर्फ भिलाई इस्पात संयंत्र के पास है। उन्होंने यह भी बताया कि ऐसी सुविधाओं के पास एक निश्चित अंतराल में भूमिगत जल और मिट्टी की जांच की जाती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके की कहीं भी खतरनाक अपशिष्ट के रिसाव से भूमिगत जल या मिट्टी प्रदूषित तो नहीं हो रही है। डॉ चौबे ने नगरीय क्षेत्रों के कचरों में खतरनाक पदार्थों की उपस्थिति के बारे में बताया और उसके उचित निष्पादन पर भी विशेष ध्यान देने पर जोर दिया।

विशेषज्ञ अतिथि वक्ता डॉ अजोय मंडल, नई दिल्ली ने अपने प्रस्तुतिकरण में भारत में खतरनाक अपशिष्ट पदार्थों के प्रबंधन की स्थिति के बारे में बतलाया। उन्होंने उद्योगों में विभिन्न प्रकार के खतरनाक अपशिष्ट और उनके वर्गीकरण के बारे में जानकारी दी। श्री मंडल ने रसायन उद्योग में उत्पन्न होने वाले खतरनाक कचड़ों और उनसे जुड़े विभिन्न हादसों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने उद्योग जगत के खतरनाक कचड़ों के बारे में भारत सरकार एवं केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कानून और नियमों की विस्तारपूर्वक जानकारी साझा की। श्री मंडल ने विकसित देशों द्वारा विकासशील देशों में खतरनाक कचड़ों के डंपिंग के रोक लगाने संबंधी अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर कानून की जानकारी दी। श्री मंडल ने जैविक उपचार विधि द्वारा तेल उद्योग और रसायन उद्योग के खतरनाक कचड़ों और अपशिष्ट के इलाज के बारे में और अपने द्वारा इस क्षेत्र में किये गए कार्यों की जानकारी साझा की।
स्वागत भाषण में श्री पुनीत चौबे चेयरमैन, द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) भिलाई शाखा ने बताया कि आयोजन का उद्देश्य खतरनाक अपशिष्ट प्रबंधन के बारे में जागरूकता और ज्ञान साझा करना है। उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में आबादी की बढ़ोतरी के साथ कचरे की मात्रा भी बढ़ रही है। श्री चौबे ने कहा कि खतरनाक कचरा मानव जीवन, जीव जंतुओं  एवं पारिस्थितिकी तंत्र के लिए बहुत घातक है और इसके प्रबंधन और निष्पादन पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

संस्था के मानसेवी सचिव श्री बसंत साहू  ने धन्यवाद ज्ञापन दिया और सुश्री अस्मिता मुखर्जी ने कार्यक्रम का संचालन किया।
इस अवसर पर संस्था के पूर्व अध्यक्ष श्री पी के तिवारी, श्री बी पी यादव, श्री शिखर तिवारी, पूर्व सचिव डॉ नागेंद्र त्रिपाठी, कार्यकारिणी सदस्य, इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स भिलाई शाखा के सम्मानित सदस्यगण, भिलाई इस्पात संयंत्र, सेल रेफ्रैक्टरी यूनिट भिलाई , बी आई टी, रूंगटा इंजीनियरिंग कॉलेज, रसायन उद्योग के प्रतिनिधि और इंजिनियरिंग कॉलेज के छात्र उपस्थित थे।

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