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आखिर कब वन विभाग कुम्भकर्णीय नींद से जागकर दुर्ग जिले के पुष्पा के ऊपर करेगा कार्यवाही,,??* या पर्यावरण के दुश्मन को यूं ही देता रहेगा संरक्षण,,??

दुर्ग/उतई :- यू तो आपने पुष्पा फ़िल्म देखी ही होगी जिसमें "पुष्पा झुकेगा नही साला" फ़िल्म का डायलॉग आपको मुह जुबानी याद भी होगा,,फ़िल...

दुर्ग/उतई:- यू तो आपने पुष्पा फ़िल्म देखी ही होगी जिसमें "पुष्पा झुकेगा नही साला" फ़िल्म का डायलॉग आपको मुह जुबानी याद भी होगा,,फ़िल्म का दूसरा पार्ट भी आने वाला है जिसमे एक प्रतिबंधित इमारती लकड़ी तस्कर की कहानी को दर्शाया गया है,,वही फ़िल्म से ही मिलती जुलती कहानी बनाने दुर्ग जिले का वन विभाग की करबद्ध है जिसके वजह से जिले के उतई के पुष्पा के हौसले काफी वर्षो से बुलंद है,खेतो में फसल कटाई होने के बाद प्रतिबंधित इमारती वृक्ष अर्जुन(कहुआ) की कटाई पूरे साल सक्रिय होकर करते है,,


इनके डूमरडीह,गाढ़ाडीह,छाटा, गनियारी और छावनी चौक में स्थित आरा मिल धड़ल्ले से सक्रिय है जहाँ पर हरे भरे वृक्षो की कटाई कर चिरान किया जाता है,,वही वन विभाग को शिकायत करने के बाद भी जब वन विभाग इनके आरा मिल औपचारिकता निभाने जांच करने आता है तो वन विभाग के ओर से जारी हुए टीपी (ट्रांजिट परमिट) दिखा कर बाकी के रखे हुए कटाई हुए वृक्षो के गोलों को बचा लेता है,जबकि अपने आंख में पट्टी बांधकर आये हुए वन विभाग के अधिकारी ट्रांजिट परमिट देखकर गोलों की जांच करना मुनासिब नही समझते जबकि दूसरे राज्य और दूसरे जिलों के वन विभाग के ट्रांजिट परमिट में आए हुए लकड़ी के गोले सूखे रहते है और कटाई किये हुए वृक्ष के गोले गीले रहते है जिनकी जांच करना जिले के वन विभाग के अधिकारी जरूरी नही समझते जिसके बाद दुर्ग जिले का यह पुष्पा को वन विभाग के आला अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त होता हुआ नजर आता है,,


पाटन वन परिक्षेत्र के खेतों में हरे भरे वृक्षो की कटाई होने का मंजर अब आम बात हो चुकी है,वही क्षेत्र के वन विभाग के अधिकारियों की बात करे तो फ़िल्म की तरह यह पुष्पा भी अधिकारियों को मोटी रकम पहुँचाकर हरे भरे पेड़ो की कटाई करते रहता है,,वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी इस कदर सुस्त रवैया अपनाए हुए रहते है प्रतिबंधित इमारती लकड़ियों के गोलों से भरी 407 गाड़िया सड़को पर दौड़ते रहती है पर इनकी रोक टोक करने के लिए न ही कोई वन विभाग का अधिकारी सक्रिय रहता है और न ही कोई राजस्व विभाग का अधिकारी,, पुष्पा की गाड़ी अक्सर रोज सुबह 4 बजे लेकर 9 बजे तक और शाम में अंधेरे होने के बाद इनके आरा मिलो में पहुचती है पर क्षेत्रीय रेंजर इस बात से अनभिज्ञ रहते है या फिर मोटी रकम मिलने के बाद आंख मूंदे रहते है जिसके बाद इस पुष्पा के हौसले बुलंद रहते है,,ऐसे में राजस्व और वन विभाग के अधिकारियों से सांठ गांठ करके पर्यावरण को नुकसान तो पहुँचा ही रहा है साथ ही शासन प्रशासन को रोजाना लाखो रुपये के राजस्व की चपत यह पुष्पा लगा रहा है,,



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