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हेमंत सोरेन- आदिवासी कभी न हिन्दू थे और न हैं

  छत्तीसगढ कौशल । झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने एक ऐसा दावा कर दिया है जिस पर बड़ा विवाद खड़ा हो सकता है। उन्होंने कहा...

 


छत्तीसगढ कौशल । झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने एक ऐसा दावा कर दिया है जिस पर बड़ा विवाद खड़ा हो सकता है। उन्होंने कहा कि आदिवासी हिंदू नहीं हैं। सोरेन ने शनिवार देर रात हार्वर्ड इंडिया कॉन्फ्रेंस (Harvard India Conference) को वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आदिवासी कभी न हिंदू थे, न हैं। उन्होंने आगे कहा, "आदिवासी समाज प्रकृति पूजक है और इनका अलग रीति-रिवाज है। सदियों से आदिवासी समाज को दबाया जाता रहा है, कभी इंडिजिनस, कभी ट्राइबल तो कभी अन्य के तहत पहचान होती रही।" सीएम ने कहा कि इस बार की जनगणना में आदिवासी समाज के लिए अन्य का भी प्रावधान हटा दिया गया है।

जनगणना में आदिवासियों को जगह नहीं: हेमंत

हेमंत सोरेन ने कहा कि जनगणना में आदिवासियों के लिए कोई जगह नहीं है। पांच-छह धर्मों को लेकर यह बताने की कोशिश की गई है कि उन्हें इन्हीं में से एक को चुनना होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने केंद्र से आग्रह किया है कि आगामी जनगणना में आदिवासी समूह के लिए अलग कॉलम होना चाहिए, जिससे वह अपनी परंपरा और संस्कृति को संरक्षित कर आगे बढ़ सकें।

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने एक ऐसा दावा कर दिया है जिस पर बड़ा विवाद खड़ा हो सकता है। उन्होंने कहा कि आदिवासी हिंदू नहीं हैं। सोरेन ने शनिवार देर रात हार्वर्ड इंडिया कॉन्फ्रेंस (Harvard India Conference) को वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आदिवासी कभी न हिंदू थे, न हैं। उन्होंने आगे कहा, "आदिवासी समाज प्रकृति पूजक है और इनका अलग रीति-रिवाज है। सदियों से आदिवासी समाज को दबाया जाता रहा है, कभी इंडिजिनस, कभी ट्राइबल तो कभी अन्य के तहत पहचान होती रही।" सीएम ने कहा कि इस बार की जनगणना में आदिवासी समाज के लिए अन्य का भी प्रावधान हटा दिया गया है।

जनगणना में आदिवासियों को जगह नहीं: हेमंत
हेमंत सोरेन ने कहा कि जनगणना में आदिवासियों के लिए कोई जगह नहीं है। पांच-छह धर्मों को लेकर यह बताने की कोशिश की गई है कि उन्हें इन्हीं में से एक को चुनना होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने केंद्र से आग्रह किया है कि आगामी जनगणना में आदिवासी समूह के लिए अलग कॉलम होना चाहिए, जिससे वह अपनी परंपरा और संस्कृति को संरक्षित कर आगे बढ़ सकें।

जेएनयू के हालात पर सबकी नजर: सोरेन

मुख्यमंत्री ने कहा कि जेएनयू के हालात क्या हैं, यह सभी लोग देख रहे हैं। उन पर भी कुछ छुटभैया नेता इस तरह का आरोप लगाते हैं, लेकिन वे संघर्ष करने वाले व्यक्ति हैं, ऐसी कोशिश को अब आदिवासी समाज सफल नहीं होने देगा। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में आदिवासियों की पहचान बनी रहे, इसके लिए उन्हें जो भी भूमिका निभाने की जरूरत पड़ेगी, वह उसके लिए तैयार हैं। साथ ही उन्होंने हावर्ड इंडिया कांफ्रेंस को आयोजकों के प्रति भी आभार व्यक्त किया और उनके सुझाव को आमंत्रित किया।

गहरी साजिश के शिकार तो नहीं हो रहे हैं सोरेन?

ध्यान रहे कि भारत को टुकड़ों में बांटने का नापाक मंसूबा पाले देसी-विदेशी ताकतों ने यह सोसा छोड़ रखा है कि आदिवासी कभी हिंदू नहीं थे। इसी तरह वो दलितों को भी भड़काते हैं और उन्हें हिंदुओं से अलग पहचान बनाने को उकसाते रहते हैं। इसके पीछे उनका राजनीतिक अजेंडा भी है। वो चाहते हैं कि आदिवासी और दलित खुद को हिंदुओं से अलग मानकर मुस्लिमों के साथ गठजोड़ कर लें तो देश में तथाकथित सेक्युलर शासन चलता रहेगा। हालांकि, जानकार इसके पीछे की हिंदू विरोधी और देश विरोधी मानसिकता को अच्छी तरह उजागर करते रहे हैं। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि कहीं इन्हीं अजेंडेबाजों का शिकार तो नहीं हो रहे हैं झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ?

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