छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज रायपुर । पहली बार किंग कोबरा (नागराज) की मौजूदगी सरकारी रिकार्ड में दर्ज कर ली गई है। कोरबा में सात माह पहले घायल किं...
रायपुर । पहली बार किंग कोबरा (नागराज) की मौजूदगी सरकारी रिकार्ड में दर्ज कर ली गई है। कोरबा में सात माह पहले घायल किंग कोबरा मिला था। उसके बाद वन विभाग ने पापुलेशन डेंसिटी सर्वे करने का फैसला किया तो 3 माह में 4-4 किंग कोबरा मिल गए। इनमें से एक की लंबाई 14 फीट मिली है और यह इतना बड़ा है कि अगर फन फैलाकर सतह से उठे से इंसान जितनी ऊंचाई हो जाती है। इस पर डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जिस जल्द ही केंद्रीय वन मंत्रालय को भेजा जाएगा। ताकि सांपों के डिस्ट्रिब्यूशन मानचित्र में छत्तीसगढ़ का नाम भी जुड़ जाए।
जानकारी के मुताबिक पहले भी बार प्रत्यक्ष
और अप्रत्यक्ष रूप से कोरबा में किंग कोबरा के होने की सूचनाएं मिलती रही थीं। मगर, 7 महीने पहले कोरबा में वन विभाग को घायल अवस्था में एक किंग कोबरा मिला था। इसके बाद सर्वे करवाया जाना तय हुआ। पहली बार सितंबर, अक्टूबर और नवंबर तक विभाग ने नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी के माध्यम से सर्वे कराया। इसमें कोरबा के ग्रामीणों के जरिए पूरे वन क्षेत्र को 4 ग्रिड में बांटकर सर्वे कराया गया। इसमें बड़ी सफलता मिली।
सर्वे टीम के सदस्य मोइज
और सूरज का कहना है कि कोरबा के जंगल में इनका आधिपत्य है। सांपों के जानकारों का कहना है कि किंग कोबरा सांपों को खाता है, जिसके जरिए फूड चैन मैंटेन रहती है। जिस प्रकार शेर फूड चैन मेंटेन करता है। यह प्राकृतिक रूप से तय है।
अगर इनका संरक्षण नही किया गया तो यह चैन ब्रेक होगी, और इसका असर यह होगा कि सांपों की संख्या तेजी से बढ़ेगी। जो मानव के लिए खतरा पैदा कर सकती है। डीएफओ प्रियंका पाण्डेय ने बताया कि लोगों ने कहा कि किंग कोबरा को लेकर कोरबा वाले दहशत फैला रहे हैं, मगर मैंने पाया कि ये वहां हैं। इनके सर्वे का प्रोजेक्ट उच्चाधिकारियों से चर्चा कर बनाया गया। अब तक एक-दो नहीं, चार किंग कोबरा देख चुके हैं।
संपादक
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