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कांस्टेबल ने शुरू की पाठशाला, ताकि पढ़ सके गरीब बच्चे ....थान सिंह देती है सिख

  छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज दिल्ली। झुग्गी में रहने वाला एक गरीब परिवार… माता-पिता कपड़ों में इस्त्री (आयरन) करने का काम करते थे, पर बच्चा पढ़-लि...

 

छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज

दिल्ली। झुग्गी में रहने वाला एक गरीब परिवार… माता-पिता कपड़ों में इस्त्री (आयरन) करने का काम करते थे, पर बच्चा पढ़-लिख कर कुछ बनना चाहता था. एक सम्मान की नौकरी  पाना चाहता था. वह चाहता था कि बड़ा होकर वह कुछ बने और फिर झुग्गियों में रहने वाले अपने जैसे गरीब बच्चों को पढ़ा सके. उस बच्चे ने खूब मेहनत की. पढ़ाई की. दिल्ली पुलिस में उसकी नौकरी लग गई. और फिर उसने गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए एक पाठशाला शुरू की. दिल्ली पुलिस के उस सिपाही का नाम है- थान सिंह.

थान सिंह की पाठशाला में अब 60 गरीब बच्चे पढ़ते हैं

दिल्ली पुलिस ने अपने साप्ताहिक पॉडकास्ट कार्यक्रम 'किस्सा खाकी का' के पहले एपिसोड में रविवार को कांस्टेबल थान सिंह की कहानी सुनाई गई. झुग्गी-बस्ती में रहने वाले बच्चों के लिए 'थान सिंह की पाठशाला' नाम से अपना स्कूल शुरू करने वाले इस कांस्टेबल की कहानी जेल सुधारक और मीडिया शिक्षिका वर्तिका नंदा ने डिजिटल माध्यम पर प्रसारित किए गए दिल्ली पुलिस के पॉडकास्ट प्रोग्राम की पहली कड़ी में सुनाई. दिल्ली पुलिस देश का पहला पुलिस बल है, जिसका अपना पॉडकास्ट है. 

दिल्ली पुलिस द्वारा शुरू किए गए इस साप्ताहिक पॉड कास्ट में अपराध, जांच और मानवता से जुड़ी अनसुनी कहानियों की श्रृंखला को शामिल किया जाएगा, ताकि आमजन के साथ जुड़ा जा सके और पुलिस की असाधारण सेवाओं को सम्मानित किया जा सके. 'किस्सा खाकी का' नाम से इस पॉडकास्ट के लिए जिन कर्मियों की कहानी को शामिल किया गया है, उन्होंने अपने कर्तव्यों के प्रति उल्लेखनीय ईमानदारी दिखाने के साथ ही सामाजिक एवं मानवीय सेवाओं में स्वेच्छा से योगदान दिया है. जेल सुधारक और मीडिया शिक्षिका वर्तिका नंदा हर हफ्ते उनकी कहानियां सुनाएंगी ।

थान सिंह दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल पद पर सेवारत हैं

पुलिस में ड्यूटी के अलावा वे गरीब बच्चों को शिक्षित करने का काम कर रहे हैं. वह खुद एक गरीब परिवार से ​थे. उनके माता-पिता भी झुग्‍गी में रहते थे और लोगों के कपड़ों में इस्त्री कर परिवार का गुजारा होता था. थान सिंह भी अपने माता-पिता के साथ मिलकर कपड़े इस्‍त्री करते थे. लेकिन उनका लक्ष्य पढ़​ लिख कर एक सम्मान की नौकरी हासिल करना था, जो कि उन्होंने किया भी. उनका सपना था कि वे बड़े होकर अच्छी नौकरी हासिल करें और गरीब बच्चों को पढ़ाएं. दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल बनने के बाद उनका सपना सच हो गया. उन्होंने 2016 में चार बच्चों के साथ अपना स्कूल शुरू किया और अब उनके स्कूल में 60 बच्चे पढ़ते हैं. सिंह उन्हें कलम, कॉपी और किताबें भी देते हैं. वे उनकी अन्य जरूरतों को भी पूरा करने की भरसक कोशिश करते हैं. लाल किले के पास एक छोटा सा साईं बाबा का मंदिर है, 

वहीं चलती है थान सिंह की पाठशाला,‍

पॉडकास्ट कार्यक्रम में वर्तिका नंदा ने उनकी कहानी बयां करते हुए ड्यूटी के घंटों के बाद की उनकी दिनचर्या के बारे में बताया. वर्तिका ने बताया, ''शाम पांच बजे का समय था. थान सिंह लाल किला चौकी पर थे. उनकी ड्यूटी के घंटे समाप्त होने वाले थे, लेकिन घर जाने के बजाय वह पहले पाठशाला जाएंगे, जहां कई बच्चे उनके आने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.'' बच्चे इस विद्यालय को थान सिंह की पाठशाला कहते है, जो लाल किले के निकट छोटे मंदिर के बाहर चलती है. कोरोना लॉकडाउन के दौरान कई बच्चे गांव चले गए, लेकिन सिंह ने उन बच्चों के साथ ही अपनी पाठशाला जारी रखी, जो दिल्ली में रह रहे थे. सिंह यह भी सुनिश्चित करने की कोशिश करते हैं कि बच्चे अपराध की दुनिया से दूर रहें ।

दिल्ली पुलिस ने बताया कि पहली कड़ी में थान सिंह को चुना गया,

 ताकि यह दिखाया जा सके कि उन्होंने मुश्किल समय का भी किस प्रकार बहादुरी से सामना किया और इसके बावजूद वह समाज की सेवा कर रहे हैं. पुलिस उपायुक्त (विशेष शाखा) सुमन नलवा ने कहा, ''सोशल मीडिया के जरिए हम लोगों तक पहुंचना चाहते हैं, उनकी बात सुनना चाहते हैं और यह समझना चाहते हैं कि हमारे एवं नागरिकों के बीच आपसी भरोसा कायम करने के लिए और क्या किया जा सकता है.'' बता दें कि ''किस्सा खाकी का'' में हर सप्ताह इस प्रकार की असाधारण कहानियां साझा की जाएंगी ।

    संपादक

प्रदीप गंजीर ( छ. ग.)

मो. 9425230709

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