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रेलवे की मनमानी और मदमस्त नेता से आम यात्री परेशान

  छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज सत्यनारायण ( सत्तू ) पटेल भाटापारा : -  कोरोना काल में रेलवे द्वारा सभी ट्रेनों को स्पेशल बनाकर किराया में 3 गुना बढ...

 

छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज

सत्यनारायण ( सत्तू ) पटेल भाटापारा : - कोरोना काल में रेलवे द्वारा सभी ट्रेनों को स्पेशल बनाकर किराया में 3 गुना बढ़ा दिया गया यहां तक की जनरल बोगी को भी रिजर्वेशन कोच बनाया गया रेलवे द्वारा करोड़ों कमाने के लिए यात्री ट्रेनों की बलि लेने आम जनता को लूटने लगे और नेता अपना मुंह सिला बैठे रहे तो इस तरह का हेडिंग बनाने के अलावा कोई चारा नहीं दिखता , हमारे क्षेत्र रेल जोन के प्रबंधक द्वारा इस तरह का मनमानी करने लगे तो असलियत आम जनता के सामने लाना जरूरी है सभी को मालूम है कि शादी के सीजन ,स्कूलों की छुट्टीयों में ट्रेनों की क्या स्थिति रहती है ऐसी स्थिति में स्पेशल ट्रेन चलाने की बजाए यात्रियों को परेशानियों का सामना करने के लिए ट्रेनों का मेंटेनेंस के नाम पर रद्द करना कहां तक उचित है? पहले ही 10 ट्रेनों को बंद किया गया है ।

 अब 22 ट्रेनों को रेलवे जोन द्वारा रद्द किया जा रहा है 

यह सब जानते हुए भी हमारे क्षेत्र के नेता और सांसद आराम से गहरी नींद सो रहे हैं ,सांसदों, नेताओं को चाहिए कि पहले से ही कोरोना काल में बंद ट्रेनों को यथावत चालू करवाना चाहिए लेकिन यहां तो उल्टी गंगा बहती दिखाई दे रही है रेलवे अफसर ट्रैक में मेंटेनेंस के नाम से ट्रेनों को रद्द कर रहे हैं यह सरासर झूठ है भारतीय रेलवे में ट्रैक मेंटेनेंस के नाम पर महीने भर तक ट्रेनें बंद करने का कोई रिकॉर्ड हो तो कोई रेलवे अधिकारी बता दे၊ जानकारी अनुसार ट्रेक मेंटेनेंस का काम रोज की प्रक्रिया है आए दिन 2 से 3 घंटे लाइन ब्लॉक कर रखरखाव का काम चलता रहता है ,रेलवे अधिकारी या कोई नेता बता दें कि पिछले 50 साल में ट्रैक मेंटेनेंस के नाम पर कब महीने तक ट्रेन रोकी गई रेलवे अधिकारी झूठ बोलकर आम जनता को गुमराह कर रही है ၊ हमारे छत्तीसगढ़ के नेताओं को यात्रियों की सुविधाओं से कोई मतलब नहीं है ၊ दूसरे राज्य में रेलवे ने अगर यह किया होता तो बवाल मच जाता लेकिन छत्तीसगढ़ के रेलवे अधिकारी भी जानते हैं यहां कुछ भी मनमानी कर लो कोई बोलने वाला नहीं है၊

आम रेलयात्रीयों का जनजीवन बेपटरी हो गया है :

फुटकर व्यवसाय, नौकरी पेशा करने वाले, मजदूर वर्ग पैसेंजर व लोकल ट्रेनों के बंद होने से उनका पारिवारिक जीवन संकटों में घिर गया है। ट्रेनों के तिगुना किराया से आम आदमी पर बोझ भी बढ़ा है। बिलासपुर जोन ने 22 ट्रेनें एक माह तक रद्द करने की घोषणा से लोग परेशान हो उठे हैं। पैसेंजर, लोकल ट्रेन अभी लगभग 30 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बदस्तूर चलाई जा रही है। गर्मी में रेल यात्रा करते लोगों का हाल बेहाल है रेल यात्रा कष्टदायी बन गई है। ट्रेनों के नहीं चलने के कारण व्यापार प्रभावित हुआ है। वहीं हजारों परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हुआ है। ट्रेनों के सहारे टिका व्यापार, नौकरी पेशा और मजदूरों का पारिवारिक बजट बिगड़ गया है। दूरदराज गांव गंवई से नगर में खरीदारी करने वाले ग्रामीणों की भीड़ अब बाजार में नहीं दिख रही है। फुटकर किराना, कपड़ा, मनिहारी स्टेशनरी आदि के दुकानदार ग्राहकों की राह ताक रहे हैं। शादी ब्याह का सीजन चल रहा है लेकिन बाजार में ग्रामीण ग्राहकों की भीड़ नहीं दिख रही है।

भाटापारा, रायपुर, बिलासपुर, बिल्हा, तिल्दा और आसपास क्षेत्र से नौकरी पेशा करने वाले रोज अप -डाउन करते थे जिस पर अभी ब्रेक लग गया है। सरकारी नौकरी वाले अधिकांश लोग मुख्यालय में रहे लगे तो कई रोज ट्रेनों में रिजर्वेशन के लिए कतार पर खड़े दिखते हैं। निजी संस्थानों में काम करने वालों की नौकरी ही छूट गई। रोज शहर जाकर अपना काम धंधा तलाश करने वाले बेकार हो गए। अनाज के व्यापारी, दवा व्यवसाई, कोरिअर सर्विस आदि का काम करने वालों का प्रभावित हुआ है।शहर जाकर रोज मजदूरी करने वाले सैकड़ों मजदूर ट्रेनों के भरोसे थे। 

तिगुना टिकट किराया होने के कारण मजदूरों का काम छूट गया और मजदूरों के परिवार के भरण पोषण की समस्या विकराल हो रही है। मजदूर बिना टिकट पकड़े गए जिन्हें भारी जुर्माना भरना पड़ा। पुरुष और महिला मजदूरों का जीवन यापन ट्रेनों के भरोसे चल रहा था ऐसे परिवारों के सामने समस्या बढ़ती जा रही है।रेलवे ने कोरोना वायरस महामारी खत्म होने के बाद भी बंद की गई लोकल व पैसेंजर ट्रेनों को शुरू नहीं किया। मासिक सीजन टिकट केवल लोकल पैसेंजर के ट्रेनों के लिए अभी शुरू की गई है। दो साल से दरबदर हुए मजदूरी करने वाले परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट उठ खड़ा हुआ है।रेल देश की रक्त वाहिनियां बनी हुई हैं जिससे आम जनजीवन चलता है जिसके बंद करने के बाद जनजीवन बेपटरी हो गया है।     

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