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अर्जुनी में अक्ति का महापर्व, पुतरा-पुतरी बिहाव के उत्साह में डूबे बच्चे

छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज रवि मारकंडे धमतरी :- अर्जुनी में छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति का महापर्व अक्ति घर-घर मे हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है ...

छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज

रवि मारकंडे धमतरी :- अर्जुनी में छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति का महापर्व अक्ति घर-घर मे हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है ।सुबह से पर्व के प्रति उत्साह अपने चरम पर है।छोटे-छोटे बच्चों ने घरों में मिट्टी के गुड्डे-गुड़िया (पुतरी-पुतरा) की शादी पूर्ण रीति-रिवाज के साथ सम्पन्न करने की तैयारी में लगे है।मनमोहक मंडप सजाकर आकर्षक रूप में पुतरी-पुतरा को सजाते हुए मनभावन वैवाहिक भव्यता से साजे अपनी संस्कृति के प्रति आस्था में लोग जुटे है। विदित है कि छत्तीसगढ़ में प्रतिवर्ष अक्ति महापर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

अक्षय का अर्थ है:- कभी न मिटने वाला, कभी न खत्म होने वाला,

इसलिए इस दिन जो भी कार्य किया जाता है वह फ़लदाई होता है। इस दिन को इतना पवित्र माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन कोई भी मांगलिक कार्य किया जा सकता है। ग्रामीण अंचल में इस दिन विवाहों की धूम रहती है। गांव-गांव में मुहरी एवं दफ़ड़ा बाजा की जुगलबंधी सुनाई दे जाती है, इसके साथ गुड्डे-गुड़िया के विवाह की धूम रहती है।अक्ति तिहार छत्तीसगढ़ का प्रमुख कृषक त्यौहार है। 

अंचल में अक्ति तिहार से खेती-किसानी का प्रारंभ हो जाता है। अक्ति माने अक्षय तृतीया, यह बैशाख मास शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाने वाला त्यौहार है। वैसे तो यह त्यौहार पूरे भारत में मनाया जाता है। इसके मनाने के पीछे कई प्राचीन मान्यताएं हैं।

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