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कुरुद में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया वट सावित्री व्रत, पति की दीर्घायु के लिए की गई कामना

छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज मुकेश कश्यप कुरुद-:  नगर सहित अंचल में में वट सावित्री व्रत का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है।नगर में विभिन्न स...

छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज

मुकेश कश्यप कुरुद-: नगर सहित अंचल में में वट सावित्री व्रत का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है।नगर में विभिन्न स्थानों पर सुहागिन महिलाओं ने वट सावित्रि का व्रत रख वट वृक्ष की विधि विधान से पूजा व अर्चना कर अपने पतियों के लिए लंबी आयु की प्रार्थना की। ततपश्चात कथा श्रवण किया। उल्लेखनीय है कि जेष्ठ मास के अमावस्या के दिन पडने वाले इस पर्व में सुहागिन महिलाओं ने पूजा की थाली सजाकर वट वृक्ष की बारह बार परिक्रमा की और फल फूल चढाकर सुख समृद्घि और पति की लंबी आयु की कामना करती है। इस व्रत का विशेष महत्व है, सुहागिन महिलाएं बरगद पेड़ की पूरे दिन पूजा-अर्चना करती हैं। इस अवसर पर पार्षद श्रीमति राखी तपन चन्द्राकर, श्रीमति सविता तिवारी, रूपेश्वरी साहू, श्रीमती संगीता साहू, आकांक्षा तिवारी, शालिनी तिवारी, अरुणा आमदे, भावना, श्रीमति मधु व अन्य महिलाएं शामिल हुई।


पं कमलेश प्रसाद तिवारी ने बताया कि इस व्रत को सबसे पहले सावित्री ने अपने पति सत्यवान की प्राण को यमराज से वापस मागकर लाई थीं, तब से इस व्रत को सुहागिन करती चली आ रही है। वट सावित्री व्रत में महिलाएं 108 बार बरगद की परिक्रमा करती हैं। कहते हैं कि वट सावित्री पूजन करना बेहद फलदायक होता है। इस दिन महिलाएं सुबह से स्नान कर लेती हैं और सुहाग से जुडा हर श्रृंगार करती हैं, जब तक पानी नहीं पीती हैं जब तक वह पूजा नहीं कर लेती हैं वट सवित्री के दिन महिलाएं त्यौहार की तरह अपने अपने घरों में भोजन के साथ पकवान भी बनाती हैं। वट वृक्ष पूजन में साल भर में जो 12 महिने होते है। उसके अनुसार सभी वस्तुएं भी 12 ही चढाई जाती हैं। कच्चे धागे का जनेऊ बनाकर उसको अपने गले में धारण करती है।

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