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किरण पब्लिक स्कूल कुरुद में मनाया गया रक्षाबंधन का पर्व

  छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज कुरुद:- नगर की शैक्षणिक संस्था किरण पब्लिक स्कूल कुरुद में बुधवार को रक्षाबंधन का पर्व मनाया गया।इस अवसर पर छात्राओं ...

 

छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज

कुरुद:- नगर की शैक्षणिक संस्था किरण पब्लिक स्कूल कुरुद में बुधवार को रक्षाबंधन का पर्व मनाया गया।इस अवसर पर छात्राओं ने छात्रों को स्नेह व विश्वास का धागा विधिवत बांधकर तिलक लगाकर व मुंह मीठा कर एक - दूसरे को पर्व की बधाई दी।इस मनभावन त्यौहार के प्रति बच्चों में अच्छा उत्साह देखा गया और रौनकता चरम पर थी।

           रक्षाबंधन पर्व से जुड़ी मान्यता का वर्णन करते हुए हिंदी के व्याख्याता मुकेश कश्यप ने बच्चों को बताया कि भाई-बहन के पवित्र संबंध के महत्व हमारे देश में कई पर्व-त्योहारों में प्रतिबिंबित किया गया है। उनमें रक्षाबंधन सर्वोपरि है।धार्मिक एवं अलौकिक महत्व का यह त्योहार बहन भाई के स्नेह, अपनत्व एवं प्यार के धागों से जुड़ा है, जो घर-घर में भाई-बहिन के रिश्तों में नवीन ऊर्जा एवं आपसी प्रगाढ़ता का संचार करता है। भाई-बहन का प्रेम बड़ा अनूठा और अद्वितीय माना गया है। बहनों में उमंग और उत्साह को संचरित करता है, वे अपने प्यारे भाइयों के हाथ में राखी बांधने को आतुर होती हैं। बेहद शालीन और सात्विक स्नेह संबंधों का यह पर्व सदियों पुराना है। रक्षाबंधन का गौरव अंतहीन पवित्र प्रेम की कहानी से जुड़ा है। उड़ीसा में पुरी का सुप्रसिद्ध जगन्नाथ मन्दिर भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को समर्पित है। जहां सुभद्रा अपने भाई श्रीकृष्ण एवं बलराम के साथ है। सुभद्रा बीच में, श्रीकृष्ण और बलराम दायें-बायें है। यहां श्रीकृष्ण की पूजा भाई और बहन के साथ की जाती है। भाई-बहन के रिश्ते को भारत के हर धर्म एवं परम्परा में पवित्रता की नजर से देखा गया है।

       रक्षाबंधन भाई और बहन के रिश्ते को फौलाद-सी मजबूती देने वाला एवं सामाजिक और पारिवारिक एकबद्धता एवं एकसूत्रता का सांस्कृतिक पर्व है।

ऐसा माना जाता है कि राखी के रंगबिरंगे धागे भाई-बहन के प्यार के बन्धन को मजबूत करते हैं और सुख-दुख में साथ रहने का विश्वास दिलाते हैं। सगे भाई बहन के अतिरिक्त अनेक भावनात्मक रिश्ते भी इस पर्व से बँधे होते हैं, जो धर्म, जाति और देश की सीमाओं से परे हैं।यही कारण है कि यह मानवीय सम्बन्धों की रक्षा के साथ-साथ राष्ट्रीयता को सुदृढ़ करने के संकल्पों का भी पर्व है। गुरु शिष्य को रक्षासूत्र बाँधता है तो शिष्य गुरु को। भारत में प्राचीन गुरुकुल काल में जब विद्यार्थी अपनी शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात गुरुकुल से विदा लेता था तो वह आचार्य का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उसे रक्षासूत्र बाँधता था जबकि आचार्य अपने विद्यार्थी को इस कामना के साथ रक्षासूत्र बाँधता था कि उसने जो ज्ञान प्राप्त किया है वह अपने भावी जीवन में उसका समुचित ढंग से प्रयोग करे। इसी परम्परा के अनुरूप आज भी किसी धार्मिक विधि विधान से पूर्व पुरोहित यजमान को रक्षासूत्र बाँधता है और यजमान पुरोहित को। इस प्रकार दोनों एक दूसरे के सम्मान की रक्षा करने के लिये परस्पर एक दूसरे को अपने बन्धन में बाँधते हैं।

         इस अवसर पर विद्या किरण शिक्षण समिति अध्यक्ष गोविंद मगर,सचिव गोपाल मगर, वनिता मगर, प्राचार्य अंकिता सिंह, आर.के.खरे, मुकेश कश्यप, वेदलता सिन्हा,जमुना देवांगन,पोषण साहू ,वेदप्रकाश कंवर, शीलनिधि साहू,नवीन यादव,दुर्गेश लक्ष्मी नारायण साहू ,गोपिका साहू, अरशी रिजवी , भाग्यश्री सोनवानी, डिलेश्वरी साहू, रवीना ध्रुव, आकांक्षा साहू,रूपेंद्र कंवर, ज्योति ध्रुवंश, तीरथ दीवान,भगवान दास जोशी,ऋतु निर्मलकर सहित समस्त छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।यह जानकारी मुकेश कश्यप ने दी।

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