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कुरुद में हर्षोल्लास के साथ मना गोवर्धन पूजा का पर्व

छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज मुकेश कश्यप@कुरुद:- बुधवार को नगर सहित अंचल में गोवर्धन पूजा का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस दौरान घरों में गौ ...

छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज

मुकेश कश्यप@कुरुद:- बुधवार को नगर सहित अंचल में गोवर्धन पूजा का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस दौरान घरों में गौ माता समेत पशुधनो को सजाकर उनकी पूजा-अर्चना कर उन्हें खिचड़ी खिलाई गई।साथ ही यादव बंधुओं द्वारा पारंपरिक दोहों के द्वारा बाजे-गाजे के साथ नृत्य करते हुय गौ माता को सोहई बांधकर पूजा अर्चना करते हुए परिवार व जनकल्याण की कामना की गई।

           विदित है कि दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की परम्परा रही है। लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। इस त्यौहार का भारतीय लोकजीवन में बहुत महत्व है। इस पर्व में प्रकृति के साथ मानव का सीधा सम्बन्ध दिखाई देता है। इस पर्व की अपनी मान्यता और लोककथा है। गोवर्धन पूजा में गोधन अर्थात गायों की पूजा की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि गाय उसी प्रकार पवित्र होती है जैसे नदियों में गंगा। गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है। देवी लक्ष्मी जिस प्रकार सुख समृद्धि प्रदान करती हैं उसी प्रकार गौ माता भी अपने दूध से स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं। इनका बछड़ा खेतों में अनाज उगाता है। ऐसे गौ सम्पूर्ण मानव जाति के लिए पूजनीय और आदरणीय है।

गौ के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए ही कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोर्वधन की पूजा की जाती है और इसके प्रतीक के रूप में गाय की।कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है। इस दौरान घर के बाहर गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर उसकी पूजा की जाती है।

        मान्यताओं के अनुसार जब कृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलधार वर्षा से बचाने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उँगली पर उठाकर रखा और गोप-गोपिकाएँ उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे। सातवें दिन भगवान ने गोवर्धन को नीचे रखा और प्रतिवर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी। तभी से यह उत्सव अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा।

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