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किरण पब्लिक स्कूल का हुआ शैक्षणिक भ्रमण

  छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज कुरुद:- किरण पब्लिक स्कूल कुरुद द्वारा इस शिक्षा सत्र का एकदिवसीय शैक्षणिक भ्रमण सम्पन्न हुआ। विद्यालय प्रबंधन के मा...

 

छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज

कुरुद:- किरण पब्लिक स्कूल कुरुद द्वारा इस शिक्षा सत्र का एकदिवसीय शैक्षणिक भ्रमण सम्पन्न हुआ। विद्यालय प्रबंधन के मार्गदर्शन व शिक्षकों के नेतृत्व में बच्चों ने शैक्षणिक भ्रमण के रूप में छत्तीसगढ़ के प्रमुख धार्मिक स्थलों के दर्शन के रूप में चंपारण, खल्लारी व घुचापाली पहुंचे।

      सबसे पहले सभी ने चंपारण के दर्शन किये। शिक्षकों ने दर्शन के दौरान बच्चों को बताया कि चंपारण छत्तीसगढ़ के धार्मिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध स्थानों में से एक है, क्योंकि यह संत महाप्रभु वल्लभाचार्य का जन्मस्थान माना जाता है। चंपारण को पहले ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध चंपाजार के रूप में जाना जाता था। चंपारण को संत महाप्रभु वल्लभाचार्य का जन्मस्थान माना जाता है।संत महाप्रभु वल्लभ संप्रदाय के संस्थापक और सुधारक थे।यहां एक मंदिर भी है जिसका नाम हवेली मंदिर है। यहां महानदी नदी की एक छोटी सी धारा मंदिर के बहुत पास से बहती है जिसे यमुना नदी से उत्पन्न माना जाता है।

   तदुपरांत सभी खल्‍लारी पहुंचे ।जहां के दुर्गम सीढ़ियों पर चढ़ते-चढ़ते सभी माता के भुवन पहुँचे।शिक्षकों ने बच्चों को बताया कि खल्लारी गांव की पहाड़ी के शीर्ष पर खल्लारी माता का मंदिर स्थित है। प्रतिवर्ष क्वांर एवं चैत्र नवरात्र के दौरान बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ इस दुर्गम पहाड़ी में दर्शन के लिये आती है। हर साल चैत्र मास की पूर्णिमा के अवसर पर वार्षिक मेले का आयोजन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि महाभारत युग में पांडव अपनी यात्रा के दौरान इस पहाड़ी की चोटी पर आये थे, जिसका प्रमाण भीम के विशाल पदचिन्ह हैं जो इस पहाड़ी पर स्पष्ट दिख रहे हैं।मान्यता है कि खल्लारी का नाम कभी खल्लवाटिका हुआ करता था। खल्लारी का एक मतलब खल्ल+अरी अर्थात दुष्टों का नाश करने वाली होता है। संभवतया इसी कारण देवी माता का नाम खल्लारी हुआ।

यहाँ खल्लारी माता का मंदिर है जो ऊपर पहाड़ी पर स्थित है, जहाँ पहुँचने के लिए लगभग 850 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है। यहां छोटी खल्लारी माता और बड़ी खल्लारी माता के दिव्य मंदिर हैं। ऐसा मान्यता है कि भीम और हिंडिंबा का विवाह इसी मंदिर में हुआ था। क्षेत्र के लोग मां खल्लारी को अपना रक्षक मानते है। यह पूरा इलाका हरियाली से भरा हुआ है।  

     अंतिम में सभी लोग घुंचापाली माँ चंडी के दर्शन में पहुंचे। यहां दर्शन के दौरान शिक्षकों ने बच्चों को बताया कि बागबाहरा में घुंचापाली गांव है।यहां पर चंडी देवी की प्राकृतिक महा प्रतिमा विराजमान है।घुंचापाली में स्थित मां चंडी का इतिहास वैसे तो डेढ़ सौ वर्ष पुरानी है जो तंत्रोक्त प्रसिद्ध उड्डीस शक्ति पीठ के रूप में ख्याति प्राप्त है। नवरात्रि पर्व में यहां पूरे क्षेत्र के लोग माता की आराधना में लीन हो जाते हैं।यहां इस दौरान काफी भीड़ होती है।पिछले कुछ सालों से आरती के समय एक भालू के परिवार का रोजाना आना होता है जो भक्तों से प्रसाद लेकर बिना कोई नुकसान पहुंचाए वापस चले जाते हैं।घुंचापाली की पहाड़ी में स्थित माता का यह मंदिर पहले तो तंत्र साधना के लिए मशहूर हुआ करता था, साथ ही मां चंडी की प्रतिमा स्वयं प्रकट हुई है।प्राकृतिक रूप से साढ़े 23 फुट ऊंची दक्षिण मुखी इस प्रतिमा का शास्त्रीय रूप से अपना एक विशेष महत्व है।भालुओं का यहां आना भी माता की भक्ति और चमत्कार माना जाता है।

        इस प्रकार इस एकदिवसीय शैक्षणिक भ्रमण में बच्चों ने पूरे उत्साह के साथ धार्मिक स्थलों के दर्शन किये व आशीर्वाद प्राप्त किया।सभी ने यहां के प्राकृतिक स्थलों के दर्शन भी किये व कई ऐतिहासिक तथ्यों को जाना व यहां आस-पास स्थित उद्यान में झूले का आनंद लिया। इस भ्रमण को लेकर बच्चों में विशेष उत्साह नजर आया।

              इस शैक्षणिक भ्रमण में प्रबंधन समिति से वनिता मगर ,प्राचार्य अंकिता सिंह ,आर के खरे ,मुकेश कश्यप ,पोषण साहू,वेदप्रकाश कंवर, शीलनिधि साहू,गोपिका साहू,पुष्पजीत साहू,रूपेंद्र कंवर, भाग्यश्री सोनवानी, ज्योति ध्रुवंशी ,तीरथ दीवान सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं शामिल हुए।यह जानकारी शिक्षक मुकेश कश्यप ने दी।

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