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संघर्ष करके जो सीख मिलती है, वह तय करती है सफलता - जया किशोरी

कुरुद में युवा दिवस पर जया किशोरी जी ने हजारों युवाओं को किया मोटिवेट,   छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज मुकेश कश्यप@कुरूद:- युवाओं के प्रेरणा स्रोत स्...

कुरुद में युवा दिवस पर जया किशोरी जी ने हजारों युवाओं को किया मोटिवेट,

 छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज

मुकेश कश्यप@कुरूद:- युवाओं के प्रेरणा स्रोत स्वामी विवेका नंद जी की जयंती अवसर पर खेल मेला मैदान में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के दौरान युवा दिवस पर युवाओं को मोटिवेट करते हुए जया किशोरी जी ने युवाओं से कहा कि आप किसी को भी हीरो मत बनाए। हीरो उसको बनाए जो सचमुच में देश को बचाया है। भारत जब विश्व गुरू था, तब पैसा भी बहुत था। हमें आज पैसा कमाना है, क्योंकि इस देश को पैसों की जरूरत है। देश को आगे ले जाना है तो पैसाें की जरूरत है। घर-परिवर को आगे ले जाना है तो पैसों की जरूरत होगी। पैसों कमाना गलत नहीं है।

उन्होंने आगे कहा कि स्कूलों में आज यह तो बताया जा रहा है कि मार्क्स कैसे लाते हैं, पर यह नहीं बताया जा रहा कि सफल कैसे होते हैं, जबकि आज बच्चों के लिए यह जरूरी है कि अपने अंदर कितना ज्ञान रखा है। इसलिए मार्क्स के बजाए ध्यान इस बात पर रखिए कि आप सीख क्या रहे हैं। रट्टा मारने से समझना ज्यादा जरूरी है। जिन्होंने हमारी जिंदगी को बदतर बनाया है, उसे हम हीरो बनाए बैठे है, जबकि हमारा असली हीरो वह है जिन्होंने हमें पढ़ाई के साथ आगे बढ़ने के लिए ज्ञान दिया।

भागवत कथावाचक जया किशोरी ने कहा कि आज की शिक्षा पैसा कमाना तो सिखाती है, लेकिन अच्छा इंसान बनना नहीं सिखाती। रटी रटाई शिक्षा से डिग्री तो हासिल कर सकते है,लेकिन जीवन में आगे बढ़ने के लिए सीख जरूरी है। संघर्ष करके जो सीख मिलती है, उससे सफलता सुनिश्चित हो जाती है। वे यहां खेल मेला मैदान मेे गुरूवार को युवा दिवस के अवसर पर मोटिवेशनल कार्यक्रम में बोल रही थी।उन्होंने यहां हजारों की संख्या में आए छात्र-छात्राओं और युवाओं को मोटिवेट करते हुए जीवन में आने बढ़ने के लिए प्रेरित किया। उनका कहना था कि जिस देश ने आपको इतना लायक तो बनाया है कि बाहर जाकर काम करें और बाहर जाकर हम उसकी ही बुराई करते है। 

जिस घर में प्राब्लम आती है, तो हम क्या करते हैं, उसे सॉल्व करते है। देश भी तो आपका है। आज ऐसा कौन सा देश है, जहां दिक्कत नही है। सफल से सफल देश में कोई न कोई दिक्कत है। फिर भी वह आज जगह पर खड़ा है, वह बड़ी बात है। उन्होंने कहा कि सबसे पहले शिक्षा भारत के पास थी। पुरातन काल में गुरूकुल में सारे सब्जेक्ट पढ़ाया जाता था। पहले इंजीनिरिंग नहीं थी, स्ट्रैक्चर नहीं था। बिना उस तरह की शिक्षा का मंदिर कैसे बन गई। उस समय स्कूल में हर सब्जेक्ट की पढाई थी। 

धनंवतरी ने आयुर्वेद की पढ़ाई की। चिकित्सा का पाठ पढ़ाया। उस समय पढ़ाई के साथ अच्छा इंसान बनाया जाता था, लेकिन आज की शिक्षा पैसा कमाना तो सिखाती है, लेकिन अच्छा इंसान बनना नहीं सिखाती। मां-बाप भी आज सिखा रहे बच्चों को आगे रहना सबसे जरूरी है। स्कूल से बच्चे जब बाहर निकलेगा, तो आगे रहना जरूरी है। मां-बाप को बच्चों को हमेशा अच्छी सीख देनी चाहिए।

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