छत्तीसगढ़ कौशल न्युज भक्त प्रह्लाद भगवान विष्णु के उपासक थे. उनकी भक्ति से परेशान होकर हिरण्यकश्यप ने पहले प्रह्लाद को एरच के डिकौली पर्वत...
छत्तीसगढ़ कौशल न्युज
भक्त प्रह्लाद भगवान विष्णु के उपासक थे. उनकी भक्ति से परेशान होकर हिरण्यकश्यप ने पहले प्रह्लाद को एरच के डिकौली पर्वत से नीचे फेंक दिया था. जब वो बच गए तो हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से कहा कि वह भक्त प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर आग में बैठ जाए. होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वो आग में नहीं जलेगी. लेकिन, चमत्कार हो गया और होलिका आग में जल गई. भक्त प्रह्लाद जीवित बच गए।
झांसी. होली का पर्व देश भर में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है. होली से जुड़ी कई मान्यताएं हैं. इनमें सबसे प्रमुख मान्यता है कि राजा हिरण्यकश्यप के कहने पर होलिका भक्त प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ गई थी. लेकिन भक्त प्रहलाद नहीं जले. इसके बाद भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध किया था. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि यह सब घटनाएं जिस जगह पर हुईं वो स्थान उत्तर प्रदेश के झांसी में है।
कहानी झांसी के एरच कस्बे से जुड़ी हुई है. एरच राजा हिरण्यकश्यप की राजधानी थी. एरच को ही दुनिया की पहली राजधानी के रूप में जाना जाता है. यहीं भक्त प्रह्लाद ने जन्म लिया था. भक्त प्रह्लाद भगवान विष्णु के उपासक थे. उनकी भक्ति से परेशान होकर हिरण्यकश्यप ने पहले प्रह्लाद को एरच के डिकौली पर्वत से नीचे फेंक दिया था. जब वो बच गए तो हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से कहा कि वह भक्त प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर आग में बैठ जाए. होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वो आग में नहीं जलेगी. लेकिन, चमत्कार हो गया और होलिका आग में जल गई. भक्त प्रह्लाद जीवित बच गए.
वर्षों पहले मिली थी मूर्ति
इसके बाद भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध किया था. एरच में आज भी वो चबूतरा बना हुआ है जहां होलिका जल गई थी. उसके पास ही एक मंदिर बना हुआ है जिसमें होलिका की वो मूर्ति रखी है जिसमें वो प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर बैठी है।
इतिहास के जानकार अमित चौरसिया ने बताया कि एरच को दुनिया की पहली राजधानी होने का गौरव प्राप्त है. वर्षों पहले खुदाई में होलिका की मूर्ति यहां प्राप्त हुई थी. आज भी यहां होली धूमधाम से मनाई जाती है।
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