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केसीपीएस कुरुद में मनाया गया संस्कृत दिवस, बच्चों ने दी मनभावन प्रस्तुति

  छत्तीसगढ़ कौशल न्युज कुरुद:- कलीराम चन्द्राकर पब्लिक स्कूल कुरुद में संस्कृत सप्ताह के अवसर पर संस्कृत दिवस मनाया गया।इस दौरान बच्चों ने स...

 


छत्तीसगढ़ कौशल न्युज

कुरुद:- कलीराम चन्द्राकर पब्लिक स्कूल कुरुद में संस्कृत सप्ताह के अवसर पर संस्कृत दिवस मनाया गया।इस दौरान बच्चों ने सूक्ति ,श्लोक आदि का वाचन कर संस्कृत भाषा की मधुर भाव व्यंजना प्रस्तुति दी।

       विद्यालय के संस्कृत विभाग प्रमुख के.एन.यादव ने संस्कृत दिवस की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संस्कृत भाषा भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग है। इस भाषा को देववाणी के समान प्रतिष्ठित माना गया है। कर्णप्रिय ध्वनि तथा वैभवशाली शब्दों का समागम संस्कृत भाषा को भारत में ही नहीं, अपितु विश्व भर में इसे आदरणीय बनाता है। 

कुछ विदेशी भाषाविद भी मानते हैं कि संस्कृत भाषा ग्रीक, लैटिन जैसी भाषाओं से भी प्राचीन है। अतएव संस्कृति में संस्कृत के प्रबल प्रभाव को दर्शाने के लिए श्रावणी पूर्णिमा का दिन चुना गया है।यह संस्कृत के अस्तित्व को जीवित रखने की ओर लिया गया एक सराहनीय प्रयास है। भारत में इसे पढ़े लिखने वालों की संख्या घटती जा रही है। संस्कृत दिवस जैसे उत्सव आम जनजीवन में संस्कृत के प्रति जागरूकता का संचार करेंगे। इससे हम ये भी समझ पाएंगे कि विदेशी भाषा के प्रभाव तले हमारी अपनी धरोहर खोनी नहीं चाहिए।

         हिंदी विभाग के प्रमुख मुकेश कश्यप ने बच्चों को इसके इतिहास का वर्णन कर कहा कि संस्कृत दिवस हर वर्ष श्रावणी पूर्णिमा को मनाया जाता है। जैसा कि हम जानते हैं श्रावणी पूर्णिमा का हमारी संस्कृति में बहुत महत्व है। हमारे देश में जन्में ऋषियों ने हमें विवेक और ज्ञान का उपहार दिया है। उनके योगदान पर प्रकाश डालने और उन्हें नमन करने के लिए श्रावणी पूर्णिमा को संस्कृत दिवस या ऋषि पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को विश्व की प्राचीनतम भाषाओं में से एक संस्कृत भाषा को समर्पित किया गया है। संस्कृत भाषा अपने माहात्म्य  के कारण देव भाषा भी कही गई है। भारतवर्ष की भूमि पर इसका सम्मान चिरकाल से होता आया है।सन 1969 को पहली बार इस दिन को व्यवहार में लाया गया था। भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने केंद्रीय तथा राजकीय स्तर पर इसे मनाने के निर्देश जारी किए थे। ये संस्कृत जैसी समृद्ध भाषा के संरक्षण की ओर एक महत्वपूर्ण कदम था।श्रावण पूर्णिमा का दिन इसलिए चुना गया है क्योंकि प्राचीनकाल में इसी दिन से शिक्षण सत्र की शुरुआत की जाती थी। इस प्राचीन परंपरा पर प्रकाश डाल कर भारत सरकार ने संस्कृत और संस्कृति के महत्व को दर्शाया है। 

         कार्यक्रम का संचालन करन सिन्हा ने किया। इस दौरान प्रमुख रूप से प्राचार्य के.मन्जिता ठाकुर, चंद्रिका मांझी, अश्विनी सिन्हा ,एच एल लहरे सहित शिक्षक स्टॉफ व विद्याथी गण उपस्थित थे।

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