छत्तीसगढ़ कौशल न्युज मुकेश कश्यप कुरुद:- बुधवार को भद्रा के साये के बीच नगर व ग्रामीण अंचल में भाई-बहन के विश्वास का पर्व रक्षाबंधन धूमधाम...
छत्तीसगढ़ कौशल न्युज
मुकेश कश्यप कुरुद:- बुधवार को भद्रा के साये के बीच नगर व ग्रामीण अंचल में भाई-बहन के विश्वास का पर्व रक्षाबंधन धूमधाम से मनाया गया। रात्रि 9 बजे के पश्चात शुभ मुहूर्त में बहनों ने विधिवत रूप से भाइयों का तिलक वंदन करते हुए उनका मुंह मीठा कर उनके कलाइयों पर राखी बाँधते हुए परम्परा का निर्वहन किया।दिनभर पर्व का उल्लास छाया रहा। कुछ ने तो दिन में ही रक्षाबंधन का पर्व मनाकर धागों के इस पर्व की खुशियां बिखेरी।बाजार भी आज पर्व के चलते गुलजार रहा,राखी ,मिठाईयां सहित विभिन्न वस्तुओं की खरीदारी भी जमकर हुई।
मान्यताओं के अनुसार रक्षाबंधन का पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।यह पर्व भाई -बहन के रिश्तों की अटूट डोर का प्रतीक है।भारतीय परम्पराओं का यह एक ऎसा पर्व है, जो केवल भाई बहन के स्नेह के साथ साथ हर सामाजिक संबन्ध को मजबूत करता है।इसलिये यह पर्व भाई-बहन को आपस में जोडने के साथ साथ सांस्कृतिक, सामाजिक महत्व भी रखता है।रक्षाबंधन के महत्व को समझने के लिये सबसे पहले इसके अर्थ को समझना होगा. "रक्षाबंधन " रक्षा+बंधन दो शब्दों से मिलकर बना है. अर्थात एक ऎसा बंधन जो रक्षा का वचन लें. इस दिन भाई अपनी बहन को उसकी दायित्वों का वचन अपने ऊपर लेते है।रक्षा बंधन का पर्व विशेष रुप से भावनाओं और संवेदनाओं का पर्व है. एक ऎसा बंधन जो दो जनों को स्नेह की धागे से बांध ले। रक्षा बंधन को भाई - बहन तक ही सीमित रखना सही नहीं होगा. बल्कि ऎसा कोई भी बंधन जो किसी को भी बांध सकता है. भाई - बहन के रिश्तों की सीमाओं से आगे बढ़ते हुए यह बंधन आज गुरु का शिष्य को राखी बांधना, एक भाई का दूसरे भाई को, बहनों का आपस में राखी बांधना और दो मित्रों का एक-दूसरे को राखी बांधना, माता-पिता का संतान को राखी बांधना हो सकता है।
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