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कुरुद में गणेशोत्सव की तैयारी तेज, मूर्तिकार दे रहे विघ्नहर्ता को अंतिम रूप

छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज मुकेश कश्यप कुरुद:- देवो में प्रथम पूज्य गणपति महराज जी का पावन उत्सव गणेश चतुर्थी अगले हप्ते से शुरू हो रहा है।कुरुद स...



छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज

मुकेश कश्यप कुरुद:- देवो में प्रथम पूज्य गणपति महराज जी का पावन उत्सव गणेश चतुर्थी अगले हप्ते से शुरू हो रहा है।कुरुद सहित अंचल में धूमधाम के साथ सिद्धि विनायक जी के आगमन की तैयारी के लिए आमजन जुट गए है। मंगलमूर्ति लंबोदर महराज जी अगले हप्ते विधिविधान के साथ घरों-घर विराजित होंगे। वहीं कुरुद के प्रमुख स्थानों में विभिन्न समितियों द्वारा पूरी भव्यता के साथ बप्पा के आगमन की तैयारी हो रही है। बड़े-बड़े पंडाल तेजी से तैयार हो रहे । कुरुद में हर साल की तरह इस बार भी गणेशोत्सव पूरी धूमधाम के साथ मनाने आमजन जुटे हुए है। यहां का स्थल सजावट व विसर्जन झांकी की भव्यता देखते ही बनती है। इसी तरह नगर के विभिन्न स्थानों पर मूर्तिकार गौरी के लाला श्री गणेश जी की मूर्ति को अंतिम रूप देने में लगे हुए है।

भारत में त्योहारों का मौसम शुरू हो चुका है और यह साल के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है गणेश चतुर्थी।गणेश चतुर्थी देवी पार्वती और भगवान शिव के पुत्र भगवान गणेश की जयंती का प्रतीक है और भक्त इस दौरान धन, समृद्धि और सफलता की कामना करते हुए अपने घरों में उनका स्वागत करते हैं। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, गणेश चतुर्थी भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष में आती है,इसे गणेशोत्सव भी कहा जाता है, यह 10दिनों का त्योहार होता है जिसका समापन अंतिम दिन (अनंत चतुर्दशी) गणेश विसर्जन के साथ होता है।

गणेश जी का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चर्तुथी ति​थि को हुआ था। इस वजह से हर साल भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। गणेश जी की चार भुजाएं हैं और वे अपनी चारों भुजाओं में क्रमश: अंकुश, पाश, मोदक से भरा पात्र और वरद मुद्रा धारण करते हैं।वे पीले वस्त्र पहनने वाले बड़े पेट वाले और कानों वाले हैं।वे लाल चंदन धारण करते हैं। गणेश जी को भोग में मोदक प्रिय है और फूलों में लाल रंग का पुष्प उनको भाता है।

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