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धूमधाम से मनाया जा रहा रोशनी का महापर्व दीपावली

  छत्तीसगढ कौशल न्युज कुरूद:- साल के सबसे बड़े त्यौहार का उल्लास चारों ओर छाया हुआ है।कुरूद सहित ग्रामीण अंचल में धूमधाम के साथ रोशनी का महा...

 


छत्तीसगढ कौशल न्युज

कुरूद:- साल के सबसे बड़े त्यौहार का उल्लास चारों ओर छाया हुआ है।कुरूद सहित ग्रामीण अंचल में धूमधाम के साथ रोशनी का महापर्व दीपावली धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। आज दिनभर कुरूद बाजार गुलजार रहा, लोगों ने पर्व को देखते हुए जमकर खरीददारी की। लगभग सभी वर्ग आज शुभ मुहूर्त में जगमग-जगमग रोशनी के इस महापर्व को पूरी सादगी के साथ जुटे हुए है। विधिविधान के साथ लोगों ने परिवार जनों के साथ धन की देवी महालक्ष्मी का आरती -पूजन वंदन कर परिवार व जनकल्याण की कामना की।सभी का घर-आंगन मनमोहक रंगोली व जगमग रोशनी से महक उठा। लोगों ने एक-दूसरे को प्रसाद बांटते हुए पर्व की खुशियां बांटी।इस दौरान खूब फटाखे फोड़े गए। बच्चों में विशेष उत्साह देखा गया।इसी तरह नगर के सरोजनी चौक और डबरापारा में विराजित मां महालक्ष्मी की सभी ने पूजा वन्दना कर जनकल्याण की कामना की। इस बीच सभी गौरा चौक में विधिवत रूप से गौरी-गौरा उत्सव की आज मध्य रात्रि से परंपरा अनुसार स्थापना व पूजा वन्दना का दौर जारी रहेगा।

       मान्यताओं के अनुसार भारतवर्ष में जितने भी पर्व हैं, उनमें दीपावली सर्वाधिक लोकप्रिय और जन-जन के मन में हर्ष-उल्लास पैदा करने वाला पर्व है। वैदिक प्रार्थना के अनुसार 'तमसो मा ज्योतिर्गमय: अर्थात अंधकार से प्रकाश में ले जाने वाला पर्व है- दीपावली। प्रतिवर्ष यह पर्व कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है और भारत के सबसे बड़े और सर्वाधिक महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। आध्यात्मिक रूप से यह 'अन्धकार पर प्रकाश की विजय' को दर्शाता है। दीपावली का सांस्कृृतिक महत्व प्रकाश पर्व से भी जुड़ा है और इस त्योहार का नाम मिट्टी के दीयों (दीप) की पंक्ति (अवली) से लिया गया है, जिसे भारतीय अपने घरों के बाहर आंतरिक प्रकाश के प्रतीक के रूप में जलाते हैं जो अंधकार से बचाता है।सभी को विदित है कि जिस दिन भगवान श्रीराम, उनके भाई लक्ष्मण और उनकी पत्नी सीता 14 साल के वनवास के बाद वापस लौटे तो उस दिन पूरे शहर को खुशी और उत्सव से भर दिया गया था।ऐसा माना जाता है कि इस दिन को खास बनाने के लिए अयोध्या के लोग इतने खुश थे कि उन्होंने प्रकाश उत्सव की शुरुआत करते हुए पूरे राज्य को दीयों से जगमगा दिया। 

          यही कारण है कि लोग दिवाली के शुभ अवसर को मनाने के लिए अपने घरों को दीयों और रोशनी से सजाते हैं।दीपावली सबसे बड़ा उत्सव आश्विन या कार्तिक के कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन होता है। दीपावली को रोशनी का त्योहार के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की भी पूजा की जाती है और शाम को दीपों की रोशनी से पूरा भारत जगमगाता है।प्रत्येक वर्ष हिन्दू धर्म के लोग इस त्यौहार को बड़ी ख़ुशी से मनाते हैं।दिवाली को प्रकाश का त्योहार कहा जाता है। इस दिन, लोग अपने घरों, मंदिरों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर दीपक जलाते हैं। यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक है।हमारे छतीसगढ़ की परम्परा में दीपावली की रौनकता यहाँ की संस्कृति, गौरी-गौरा विवाह, सुवा नृत्य की मनमोहकता में चार चाँद लगा देती है|आइए हम सब मिलकर इस दिवाली एक दिया विश्वास, आस्था, सदभाव का जलाएं औऱ इस पर्व को सार्थक बनाए|

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