छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज मुकेश कश्यप कुरुद:- गुरुवार को नगर सहित अंचल में हर्षोल्लास के साथ हरेली पर्व मनाया जा रहा है।सुबह से ही बच्चों में पर...
मुकेश कश्यप कुरुद:- गुरुवार को नगर सहित अंचल में हर्षोल्लास के साथ हरेली पर्व मनाया जा रहा है।सुबह से ही बच्चों में पर्व के प्रति विशेष उत्साह देखा गया।नगर व ग्रामीण अंचलों में लोग अपने घरों में औजारों की पूजा-अर्चना कर चीला रोटी का भोग लगाकर खुशहाली व समृद्धि की कामना की।बच्चों ने गेड़ी में उत्साह के साथ बढ़ते हुए चढ़कर पर्व का आनंद लिया।
विदित है कि हरेली पर्व के दिन गांवों में हर तरफ गेड़ी चढ़ते बच्चे और जवान नजर आते हैं।माना जाता है कि पुरातन समय में जब गलियां केवल मिट्टी की हुआ करती थी तो भरी बरसात में होने वाला त्यौहार हरेली में कीचड़ से भरी गलियों में बिना जमीन में पैर रखे बिना कीचड़ लगे गेड़ी दौड़ होती थी।गेड़ी दौड़ या गेड़ी नृत्य स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है।इससे बच्चों का शारीरिक विकास होता है।हरेली के दिन किसान अपने उपकरणों की पूजा करते हैं।
हरेली के त्योहार के दिन वे अपने औजार नांगर-गैती-रांपा की पूजा करते हैं. उनका मानना है कि यह त्योहार प्रकृति को वापस लौटाने का है। इसदिन वे अपने बैलों की, अपने औजारों की पूजा कर आभार व्यक्त करते हैं. किसान इस दिन भगवान इंद्र की भी पूजा करते हैं।
वे मानते हैं कि भगवान इंद्र के खुश होने से उन्हें अच्छी फसल मिलेगी और उनके घर-परिवार में सुख शांति आएगी, हरेली इंसानों और प्रकृति के बीच के आपसी रिश्ते को दर्शाता है. यही वो समय होता है जब कृषि कार्य अपने चरम पर होता है ।धान रोपाई जैसे महत्वपूर्ण कार्य को पूरा कर लेते हैं. हरेली सावन महीने की पहली अमावस्या को मनाया जाता है. इस दिन किसान अपने पशुओं को औषधि खिलाते हैं ।
जिससे वो स्वस्थ रहें और उनका खेती का कार्य अच्छे से हो सके. हरेली के पहले ही किसान बोआई, बियासी का काम पूरा कर पशुओं के साथ आराम करते हैं. छत्तीसगढ़ और यहां का गरियाबंद जिला अपने लोकपर्व के साथ लोक व्यंजनों के लिए भी जाना जाता है. छत्तीसगढ़ में हरेली के लिए भी कुछ खास व्यंजन पकाए जाते हैं. गुड़ के चीले, ठेठरी, खुरमी और गुलगुला भजिया जैसे व्यंजन बनते हैं।
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