Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

ब्रेकिंग :

latest

प्राचीन राम मंदिर कुरूद में बसन्त उत्सव में खेली गई फूलों की होली, नंगाड़े की थाप में फाग गीत पर झूमे भक्त... देखिए वीडियो

  छत्तीसगढ़ कौशल न्युज मुकेश कश्यप कुरूद:- रंगपंचमी के पावन अवसर पर रविवार सन्ध्या को प्रतिवर्ष की परम्परा का निर्वहन करते हुए नगर के प्राच...

 

छत्तीसगढ़ कौशल न्युज

मुकेश कश्यप कुरूद:- रंगपंचमी के पावन अवसर पर रविवार सन्ध्या को प्रतिवर्ष की परम्परा का निर्वहन करते हुए नगर के प्राचीन श्रीराम मंदिर में बसन्त उत्सव का आयोजन महंत अखिलेश वैष्णव व उनके परिवार के सानिध्य में भव्य आयोजन रखा गया। इस पुनीत बेला में पारम्परिक नंगाड़े की थाप पर फाग गीत गाते हुए व थिरकते हुए हुए सभी ने फूलों की होली के साथ रंगों के उत्सव की खुशियां बिखेरी गयी।

रविवार को सन्ध्या होते जी प्रभु श्रीराम चन्द्रजी की पूजा अर्चना पश्चात फाग मंडली नारी के द्वारा एक से बढ़कर एक नंगाड़े की मधुर थाप के साथ फाग गीत प्रस्तुत कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।साथ ही साथ उपस्थित गणमान्य व आमजन एक दूसरे को फूलों की वर्षा करते हुए थिरकने लगे।इस उत्सव भरे वातावरण में लोगों ने फाग उत्सव के आनंद को पूरे उल्लास के साथ बिखरते हुए पूरे तन्मयता के साथ इस बसन्त उत्सव में

सहभागिता दी। इस रसमय वातावरण में हर वर्ग के लोग शरीक हुए जिनमें राजनीतिक दल, व्यापारी, पत्रकार, शिक्षाविद, युवा सहित छोटे-छोटे बच्चें बड़ी संख्या में शामिल होकर आनंदित व मनभावन भरे लम्हे के रस में भाव विभोर हो गए। अंत में महंत अखिलेश वैष्णव ने इस कार्यक्रम में शरीक हुए भक्तों का आभार जताया।

जैसा कि सर्वविदित है कि कुरुद नगर के हृदय स्थल पुराना बाज़ार स्थित प्राचीन श्रीराम मंदिर में हर वर्ष फूलों की होली खेली जाती है। बताया जाता है कि यह प्राचीन श्रीराम मंदिर लगभग 250 वर्ष पुरानी मंदिर है। जहां भक्त भगवान के साथ फूलों से होली खेलेंगे। साथ ही इस उत्सव में नंगाड़े की थाप पर फाग गीत गाते हुए फूलों की होली के साथ उत्सव की खुशियां बिखेरी जाती है।

मन्दिर के महंत अखिलेश वैष्णव ने बताया इस पावन धाम पर हर साल बसंत उत्सव मनाया जाता रहा है। जहां नगर के धर्म एवं कलाप्रेमी एकत्र होकर भगवान श्रीराम चन्द्रजी का आर्शीवाद लेकर उनके चरणों में श्रद्धासुमन अर्पित कर फाग गीत गाते हुए होली के उत्सव की खुशियां बिखेरते है।

पूरे नगर में होली के बाद रंगपंचमी पर मनाए जाने वाले इस उत्सव की एक अलग पहचान है। जिसका आनंद देखते ही बनता है। यहां लोग प्रभु श्रीराम चन्द्र जी के साथ अवध के फूलों की होली का आनंद लेते है।

उन्होंने आगे बताया हर जगह फूलों के साथ एक असाधारण आश्चर्यजनक बसंती की होली मनाई जाती है। फूलों की होली के उल्लास के लिए उनकी आराध्य साथी को सुंदर फूलों और ताजा खिलने वाली मालाओं से भव्य रूप से सजाया जाता है। इस दौरान भक्त उत्साहपूर्वक इस शानदार उत्सव में शामिल होते है। प्राचीन श्रीराम मंदिर स्थल के अंदर एक अनोखे और उत्साह के साथ होता है यह प्यारा पुष्प उत्सव। इस उत्सव का महत्त्व ये है कि यह संथेतिक सूखे या गीले रंगों के साथ नहीं खेला जाता है। इसके बजाय, यह अनेक रंग बिरंगे फूलो की पंखुड़ियों के साथ खेला जाता है, जिससे इसे फूलों वाली होली है। हर जगह फूलों के साथ एक असाधारण आश्चर्यजनक फूलन की होली या होली मनाई जाती है। फूलों की होली के उल्लास के लिए भगवान श्रीकृष्ण की मनोरम अभिव्यक्ति और उनकी आराध्य साथी को सुंदर फूलों और ताजा खिलने वाली मालाओं से भव्य रूप से सजाया जाता है।

फूलों की होली मुख्य रूप से एकादशी के दिन मनाई जाती है, जो प्रमुख होली से कुछ दिन पहले होती है, हजारों उत्साही लोग इस शानदार उत्सव में शामिल होंते है। प्राचीन राम मंदिर स्थल के अंदर एक अनोखे उत्साह और उत्साह के साथ होता है। यह प्यारा पुष्प उत्सव इस मायने में अनूठा है कि यह पारंपरिक सिंथेटिक सूखे या गीले रंगों के साथ नहीं खेला जाता है। इसके बजाय, यह फूल, गुलाब की पंखुड़ियों के साथ खेला जाता है, जिससे इसे फूलन वाली होली है ।

No comments